AIDS एड्स की जानकारी ही बचाव है : डाॅ. रहमान

*दी गई एड्स से बचाव की जानकारी*

*एड्स की जानकारी ही
बचाव है : डाॅ. रहमान*

एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) एक जानलेबा बीमारी है। अब तक इसका कोई कारगर इलाज नहीं है। अतः ससमय सही जानकारी ही इससे बचाव है। इस संदर्भ में एड्स के मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक पहलुओं पर ध्यान देना बेहद जरूरी है

यह बात मनोविज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर एवं विश्वविद्यालय के अकादमिक निदेशक डाॅ. एम. आई. ने कही। वे मंगलवार को एड्स : मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक आयाम विषयक व्याख्यान दे रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन सेहत केंद्र, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के तत्वावधान में किया गया।

*प्रतिरोधक क्षमता में होती है कमी*

उन्होंने बताया कि एचआईवी एक वायरस है। यह वायरस मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी पावर) को कम कर देता है। पुनः कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण हम बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।

*एड्स के लक्षण हैं तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें*

उन्होंने बताया कि सामान्यतः एड्स संक्रमण का कोई विशेष लक्षण नहीं होता है। लेकिन रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण कई प्रकार की बीमारियों के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। अतः यदि मुंह में सफेद चकत्तेदार धब्बे उभरना, शरीर से अधिक पसीना निकलना, बार-बार थकान की शिकायत होना, अचानक वजन कम होने लगना, तेज बुखार रहना, बार-बार दस्त लगना, लगातार खांसी आना, गले, जांघों में गांठें पड़ना; सारे शरीर में खुजली एवं जलन आदि के लक्षण हों, तो तुरंत योग्य चिकित्सक से परामर्श लें।

*एड्स के हैं चार कारण*

उन्होंने बताया कि एड्स मुख्यतः चार कारणों से होता है। संक्रमित व्यक्ति से असुरक्षित यौन संबंध से, संक्रमित रक्त से, संक्रमित सूई के प्रयोग से और संक्रमित माँ से उसके होने वाले शिशु में।

*छूत की बीमारी नहीं है एड्स*
उन्होंने कहा कि समाज में एड्स के संबंध में कई भ्रांतियाँ फैली हैं। इन भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत है। हमें यह जानना चाहिए कि एड्स छूत की बीमारी नहीं है। यह एक-दूसरे को छूने या चुमने से नहीं फैलता है। यह सार्वजनिक शौचालय एवं साझे स्नानागार या स्विमिंग पूल के इस्तेमाल से भी नहीं फैलता है। एड्स पीड़ित व्यक्ति घृणा के पात्र नहीं हैं। उनको भी समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है।

*एड्स पीड़ित का मनोबल बढ़ाएँ*

उन्होंने कहा कि अक्सर एचआईवी के साथ जीने वाले लोग अवसादग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे में हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम एड्स पीड़ितों के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करें और उनका मनोबल बढ़ाएँ। हम इस बात का ख्याल रखें कि एड्स पीड़ित व्यक्ति एड्स- फोबिया से ग्रस्त न हो। हमें ऐसे व्यक्ति को सामान्य स्थिति में लाने हेतु मनोवैज्ञानिकों की मदद दिलानी चाहिए।

*गाँवों तक पहुंच गया है एड्स*

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सिंडिकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान ने कहा कि देश में एड्स का बढ़ता प्रसार चिंता का विषय है। अब एड्स बीमारी मात्र बड़े- बड़े महानगरों तक सीमित नहीं रही है। आज यह छोटे शहरों एवं गाँवों तक भी पाँव पसार चुकी है। इसलिए एड्स जागरूकता कार्यक्रमों को जन-जन तक ले जाने की जरूरत है।

कार्यक्रम के दौरान अतिथियों का स्वागत जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने किया। संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के शोधार्थी सारंग तनय ने की। धन्यवाद ज्ञापन के. पी. काॅलेज, मुरलीगंज के डॉ. अमरेंद्र कुमार ने किया। पुस्तकालय विज्ञान विभाग के डॉ. राजीव रंजन और के. पी. काॅलेज के सुरज कुमार एवं शाहीन ने मुख्य वक्ता से प्रश्न भी पूछे।

इस अवसर पर डाॅ. पल्लवी, डाॅ. एहतेशाम आलम, मधु यादव, रेखा कुमारी, सूरज नायक, रेवती रमण, रश्मि दत्ता, मो. आदिल, शीबा अफरीन, शाहीन, जया ज्योति, प्रीतम कुमार, डॉ. कुमारी रंजीता, अब्दुर रहमान, निशु कुमारी, धीरज कुमार आदि उपस्थित थे।

डाॅ. शेखर ने बताया कि बुधवार को युवाओं की मानसिक समस्याएँ और समाधान विषयक व्याख्यान होगा।