BNMU आरआरसी के नोडल पदाधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण। दी गई एड्स से बचाव की जानकारी

बीएनएमयू : आरआरसी के नोडल पदाधिकारियों ने लिया प्रशिक्षण। दी गई एड्स से बचाव की जानकारी

एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम)एक जानलेबा बीमारी है और अब तक इसका कोई कारगर इलाज नहीं है। अतः सभी जानकारी ही इससे बचाव है। यह बात प्रशिक्षक राहुल सिंह ने कही।

वे सोमवार को बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के अंतर्गत संचालित रेड रिबन क्लब (आरआरसी) के नोडल पदाधिकारियों के ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे। यह राज्य स्तरीय कार्यक्रम एड्स के प्रति जागरूकता, स्वैच्छिक रक्तदान एवं अन्य कार्यक्रमों को व्यापक रूप से प्रभावकारी बनाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।

उन्होंने बताया कि एड्स के ज्यादातर मामले युवाओं के बीच से आ रहे हैं। अतः युवाओं के बीच एड्स को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाना आवश्यक है। हमें पहले युवाओं को इस समस्या के प्रति जागरूक करना है और फिर उनके माध्यम से पूरे समाज में जागरूकता लानी है।

उन्होंने बताया कि दुनिया में एड्स को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैली हुई है और जागरूकता का अभाव है। अतः हम सबों की यह जिम्मेदारी है कि हम भ्रांतियों का निराकरण करें और सही जानकारी का प्रचार-प्रसार करें।

उन्होंने स्पष्ट किया कि एड्स छुआछूत की बीमारी नहीं है। यह एक दूसरे को छूने या चुमने से नहीं फैलता है। यह सार्वजनिक शौचालय एवं साझे स्नानागार या स्विमिंग पूल के इस्तेमाल से भी नहीं फैलता है। मच्छरों के काटने से भी यह बीमारी नहीं फैलती है। साथ ही सुरक्षित रक्तदान से भी एड्स फैलने का कोई खतरा नहीं होता है।

उन्होंने बताया कि एड्स का मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध है। इसके अलावा संक्रमित रक्त के आदान-प्रदान के कारण तथा माँ से शिशु में भी एड्स संक्रमण हो सकता है। अभी तक एड्स का पूर्ण रूप से उपचार अभी तक संभव नहीं हो सका है। इसलिए जागरूकता एवं प्रशिक्षण ही इससे बचने का एकमात्र रास्ता है।

उन्होंने कहा कि एड्स से बचाव के लिए असुरक्षित यौन संबंध से बचें और जीवन-साथी के अलावा किसी अन्‍य से यौन संबंध नहीं रखें। मादक औषधियों के आदी व्‍यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज एवं सूई का प्रयोग न करें। एड्स पीडित महिलाएं गर्भधारण न करें; क्‍योंकि उनसे पैदा होने वाले‍ शिशु को यह रोग लग सकता है।

*आरआरसी एक आंदोलन*

प्रशिक्षक श्रवण कुमार सिंह ने कहा कि रेड रिबन क्लब (आरआरसी) एक संगठन या कार्यक्रम मात्र नहीं है। यह एक आंदोलन है। रेड अर्थात लाल एक साथ युद्ध एवं प्रेम दोनों का प्रतीक है। अतः एड्स के खिलाफ युद्ध और एड्स पीडितों के प्रति प्रेम एवं सहानुभूति इसका मुख्य कार्यक्रम है।

*बिहार में है 420 आरआरसी*

उन्होंने बताया कि बिहार के विभिन्न संस्थानों में 420 रेड रिबन क्लब सक्रिय हैं। वर्ष 2007 में भारत सरकार ने एड्स के प्रति जागरूकता के प्रचार-प्रसार के लिए रेड रिबन एक्सप्रेस रेलगाड़ी चलाई थी। वह रेलगाड़ी 24 राज्यों के 180 स्टेशनों से गुजरी और 27 हजार किलोमीटर दूरी तय की थी।

उन्होंने बताया कि आरआरसी का उद्देश्य युवाओं को स्वास्थ्य दूत के रूप में तैयार करना है। यह युवाओं में जागृति लाने और उनमें नेतृत्व क्षमता के विकास हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता है और एड्स के प्रति सामाजिक जागरूकता और नैतिक एकजुटता का प्रयास करता है।

प्रशिक्षक असीम कुमार झा ने बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति, रेड रिबन क्लब के कार्यक्रमों की जानकारी दी। साथ ही एड्स से बचने और स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने पर बल दिया।

*सबों को मिलेगा प्रमाण-पत्र*

समिति के सहायक निदेशक (युवा) सह सेहत केंद्र के राज्य नोडल पदाधिकारी आलोक कुमार सिंह ने बताया है कि आने वाले दिनों में आरआरसी की सक्रियता बढ़ाई जाएगी। इसके अंतर्गत एड्स जागरूकता एवं स्वैच्छिक रक्तदान आदि के अलावा टीबी और मादक द्रव्यों से बचाव के कार्यक्रम भी जोड़े जाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण सामग्री, संसाधन सामग्री एवं प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।

*बीएनएमयू की अहम भागीदारी*

प्रशिक्षण कार्यक्रम में बीएनएमयू के समन्वयक डाॅ. अभय कुमार, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के समन्वयक डाॅ. अंजनी कुमार घोष और बीएनएमयू के 24 महाविद्यालयों में कार्यरत आरआरसी के लगभग सभी नोडल पदाधिकारियों और कई कार्यक्रम पदाधिकारियों ने भाग लिया।

इनमें टी. पी. कॉलेज, मधेपुरा के डाॅ. सुधांशु शेखर, डाॅ. स्वर्ण मणि एवं खूशबू शुक्ला, बीएनएएमभी काॅलेज, मधेपुरा के नारायण कुमार, केपी काॅलेज, मुरलीगंज के डाॅ. अमरेंद्र कुमार, एचएस काॅलेज, उदाकिसुनगंज के सरवर मेंहदी, आरजेएम काॅलेज, सहरसा के डाॅ. अभय कुमार, एमएलटी काॅलेज, सहरसा के डाॅ. संजीव कुमार झा,आरएम काॅलेज, सहरसा के अमिष कुमार एवं डाॅ. कविता कुमारी, एमएचएम काॅलेज, सोनवर्षा के शशिकांत कुमार, बीएसएस काॅलेज, सुपौल के अनामिका यादव, एचपीएस काॅलेज, निर्मली के डाॅ. कृष्णा चौधरी एवं डाॅ. अतुलेश्वर झा, एलएनएमएस काॅलेज, वीरपुर केविनय कुमार एवं निहारिका प्रजापति, सीएम साइंस काॅलेज, मधेपुरा के डाॅ. संजय कुमार, वीमेंस काॅलेज, मधेपुरा की रूपा कुमारी, एएलवाई काॅलेज, त्रिवेणीगंज के विद्यानंद यादव, डाॅ. कुमारी पूनम एवं शंभु यादव आदि प्रमुख हैं।

*आगे होगा अन्य विश्वविद्यालयों का प्रशिक्षण*

बीएनएमयू के जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. शेखर ने बताया कि आगे 6 जुलाई को पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना, 7 को जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा, 8 को पूर्णियाँ विश्वविद्यालय, पूर्णियाँ एवं 9 को कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

12 जुलाई को वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, 13 को बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर और 14-15 जुलाई को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के प्रतिभागियों का प्रशिक्षण होगा।