BNMU। 151वीं जयंती पर गाँधी को नमन…

151वीं जयंती पर गाँधी को नमन…
=========
मेरे नाना जी श्री राम नारायण सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे और वे हमेशा हमें महात्मा गाँधी की कोई न कोई बात बताते रहते थे। उन्हीं के माध्यम से मेरी गाँधी के बारे में प्रारंभिक धारणाएँ बनीं। फिर स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस के अवसर पर ‘पूज्य बापू अमर रहे’ का नारा लगाते हुए हमने यह महसूस किया कि आजादी में गाँधी का सबसे अधिक योगदान है या उस समय की समझ से कहें, तो आजादी गाँधी की ही देन है।

बाद में गाँधी के बारे में और भी बहुत-बहुत कुछ पढ़ा। यह भी जाना कि आजादी सिर्फ गाँधी की देन नहीं है, इसमें अनगिनत ज्ञात-अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों एवं शहीदों ने योगदान दिया है और गाँधी भी उनमें से एक प्रमुख नाम हैं। गाँधी के बारे में प्रचलित कई दुष्प्रचार भी मेरे कानों तक आए और उनका सहज निराकरण भी संभव हो सका।

गाँधी की पुस्तक ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग अथवा आत्मकथा’ और ‘हिंद स्वराज’ भी स्नातक के पूर्व ही मेरे हाथ लगी थी, लेकिन मैंने तब इन दोनों किताबों को उतनी गंभीरता से नहीं लिया था। मुझे बाद में इन किताबों के महत्व का अंदाजा हुआ। प्रारंभिक दिनों में मुझे ‘मेरे सपनों का भारत’ ज्यादा पसंद थी; क्योंकि इससे मुझे विभिन्न विषयों पर लिखने-बोलने में मदद मिलती थी। आगे स्नातक दर्शनशास्त्र (प्रतिष्ठा) की पढ़ाई के क्रम में गाँधी के ‘सर्वोदय’, ‘सत्याग्रह’, ‘ट्रस्टीशिप’ आदि विचारों से परिचय हुआ। स्नातकोत्तर में यह परिचय और भी गहरा हुआ।

टी. एन. बी. काॅलेज, भागलपुर में स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही मैं गाँधी विचार विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर से जुड़ गया। मैंने यहाँ आयोजित होने वाले कई कार्यक्रमों की ‘प्रभात खबर’ में रिपोर्टिंग की और यहाँ आने वाले कई विद्वानों के साक्षात्कार भी लिए। इनमें से राजस्थान के सुप्रसिद्ध गाँधीवादी विचारक बाबूराव चंदावर का साक्षात्कार मुझे आज भी याद है। इसका शीर्षक था ‘स्वराज अभी बाकी है’।

एक बार विनोबा जयंती (11 सितंबर) पर गाँधी विचार विभाग से कहलगांव के शारदा पाठशाला (जहाँ ‘आचार्यकुल’ की नींव पड़ी थी) होते हुए विक्रमशीला विश्वविद्यालय तक की यात्रा निकली थी। हमने उसमें बढ़चढ़ कर भाग लिया थ। गाँधी विचार विभाग के द्वारा ‘सत्याग्रह के सौ साल’ पर पटना में आयोजित कार्यक्रम में भी मैंने शिरकत किया था। अन्य कार्यक्रमों में भी मेरी सक्रिय भागीदारी रहती थी। मैंने कई बार गाँधी विचार विभाग द्वारा आयोजित भाषण एवं लेख प्रतियोगिता में पुरस्कार भी जीता था।

*गाँधी और अंबेडकर*
लेकिन पी-एच. डी. शोध के लिए मैंने गाँधी की बजाय अंबेडकर को चुना। वैसे मैंने अपने शोध सहित अन्य रचनाओं में भी गाँधी-अंबेडकर को जोड़ने पर बल दिया है। दोनों से मेरा लगाव है और दोनों को केंद्र में रखकर पढ़ता-लिखता रहा हूँ। इसी क्रम में मेरे शोध-प्रबंध का कुछ प्रमुख भाग ‘सामाजिक न्याय : अंबेडकर- विचार और आधुनिक संदर्भ’ नाम से दिसंबर, 2014 में प्रकाशित हुआ। उसके कुछ ही दिनों बाद  जनवरी, 2015 में गाँधी से संबंधित मेरे लेखों का संग्रह ‘गाँधी-विमर्श’ पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई।

पुस्तक-परिचय                             डाॅ. सुधांशु शेखर की पुस्तक ‘गाँधी-विमर्श’ दर्शना पब्लिकेशन, भागलपुर (बिहार) से 2015 में प्रकाशित हुई है। इसमें ‘राष्ट्र’, ‘सभ्यता’, ‘धर्म’, ‘राजनीति’, ‘स्वराज’, ‘शिक्षा’, ‘स्त्री’, ‘दलित’, ‘स्वास्थ्य’, ‘पर्यावरण’, ‘विकास’ एवं ‘भूमंडलीकरण’ को गाँधी दृष्टि से देखने-समझने की कोशिश की गई है। लेखक का कहना है कि सवाल चाहे धर्म राजनीति एवं शिक्षा का हो अथवा प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं विकास का, सभी का जवाब गाँधी को केंद्र में रखकर ढूंढ़ा जा सकता है।

गाँधी-मार्ग पूरी तरह निरापद हो या नहीं हो, लेकिन यह एक विकल्प अवश्य है। यह पुस्तक न केवल गाँधी एवं समकालीन विमर्शों में रूचि रखने वाले शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों, वरन् आम लोगों के लिए भी उपयोगी है। गाँधी-विचार के विरोधियों को भी इसे पढ़ने से कोई नुकसान नहीं होगा।

====
*विशेष*
आज ‘गाँधी-जयंती’ के अवसर पर मैं अपनी पुस्तक ‘गाँधी-विमर्श’ को ‘काॅपीराइट फ्री’ करने की घोषणा करता हूँ।

1. आप ‘गाँधी-विमर्श’ को पूरा-पूरा अपने संस्थान से पुनःप्रकाशित कर सकते हैं।

2. आप ‘गाँधी-विमर्श’ के किसी भी अंश को प्रकाशित/ प्रसारित कर सकते हैं।

3. आप ‘गाँधी-विमर्श’ का किसी भी भाषा में अनुवाद कर सकते हैं।

3. आप ‘गाँधी-विमर्श’ की समीक्षा कर सकते हैं।

4. ‘गाँधी-विमर्श’ के प्रचार-प्रसार में आपके सहयोग की अपेक्षा है।

5. कृपया, ‘गाँधी-विमर्श’ के संबंध में अपना सुझाव देने की कृपा करेंगे।

6. जिन्हें भी यह पुस्तक चाहिए वे गौरब कुमार 7004113295 से संपर्क कर सकते हैं।

-सुधांशु शेखर, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर (दर्शनशास्त्र), जनसंपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) एवं उपकुलसचिव (अकादमिक), बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा-852113 (बिहार)

मोबाइल- 9934629145,
ई. मेल- [email protected]