BNMU। कविता। ज से जल, जल ही जीवन है

जीवन हमरा जलमय है साहब ,
पूरब, पश्चिम , उत्तर, दक्खिन ,
जल ही जल है .
हम शरीर में अदृश्य पंख लिए पैदा होते हैं,
हम हृदय में अदम्य साहस लिए पैदा होते हैं.
हमारा ठिकाना है घर की टीन का छत,                    कभी पेड़ पे चमगादड़ की तरह घर बसाते हुए,
नीचे अथाह जलसागर,                                          ऊपर अनंत आसमां,
हमारा घर है साहब .
कौन पढ़ेगा , 4जी पे ,
हमें तो निवाला ही नसीब नहीं है साहब .
तुम कोरोना के डर से ऑक्सीमीटर मंगाते हो ,
हमारे पास तो थर्मामीटर भी नहीं है साहब .
हम और आप एक कैसे हो सकते हैं ,
मेरे बच्चे जिंदा रह लेे,                                           इसी जद्दोजहद में हम हैं,
आप ऑनलाइन एसी में क्लास करवाते हो साहब.
यह अटल सत्य है साहब,
मेरे बच्चे जिंदा रहकर भी इसकी कीमत चुकाएंगे ,
और आपके ही एसी में पले बच्चे,                         उनकी जान की कीमत लगाएंगे.
-डॉ. बंदना भारती
असिस्टेंट प्रोफेसर, पूर्णियाँ विश्वविद्यालय, पूर्णियाँ, बिहार