*गाँधी के बताए मार्ग पर चलकर ही विकसित बनेगा भारत*
बीएनएमयू, मधेपुरा के प्रशासनिक परिसर में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के तत्वावधान में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार ने कहा कि गाँधी युगदृष्टा थे। उनके जीवन- दर्शन में जीवन एवं जगत की सभी समस्याओं का समाधान निहित है। उनके बताए मार्ग पर चलकर ही हम विकसित भारत के सपने को साकार कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि गाँधी सत्य एवं अहिंसा के पुजारी थे। इसलिए संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा गाँधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया गया है। आज सभी यह स्वीकार कर रहे हैं कि अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही भारत और दुनिया का कल्याण होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि महात्मा गाँधी ने भारत की सोए हुए जनमानस को जगाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने आम लोगों को संगठित कर अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह का शंखनाद किया और सत्य एवं अहिंसा के रास्ते से देश को आजादी दिलाने में सफलता पाई।
उन्होंने कहा कि गाँधी ने आजादी के बाद भी कोई पद नहीं लिया। वे भारत विभाजन के भी खिलाफ थे। वे चाहते थे कि भारत में सभी जाति-धर्म के लोग एक साथ रहें और सब मिलकर देश को विकसित बनाने में योगदान दें।
उन्होंने कहा कि आज वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती शक्ति को कम करने के लिए अमेरिका ने भारत पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया है। इन प्रतिबंधों से निपटने के लिए हमें गाँधी के स्वदेशी को अपनाने की जरूरत है। इसी स्वदेशी विकसित भारत की भी कुंजी है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि गाँधी एवं शास्त्री दोनों सच्चे देशभक्त थे। दोनों ने अपने निजी हितों की बलि चढ़ाकर भारत को सबल, सक्षम एवं सशक्त बनाने हेतु अपना जीवन समर्पित कर दिया। दोनों हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं।
इस अवसर पर शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, गौरब कुमार, सोएब आलम, राजकिशोर कुमार आदि उपस्थित थे।