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Aajad पुस्तकालय खोलना सबसे बड़ा पुण्य : पूर्व मंत्री* 

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*पुस्तकालय खोलना सबसे बड़ा पुण्य : पूर्व मंत्री*

*आजाद पुस्तकालय पढ़ने लिखने वालों के लिए वरदान साबित होगा* …..विधायक

गुरुवार की देर शाम शिव राजेश्वरी युवा सृजन क्लब कोसी प्रमंडल द्वारा शिक्षा,साहित्य सृजन को बढ़ावा के पहल को लेकर क्लब के सदस्य स्मृति शेष युवा प्रतिभा अजीत पाल सिंह आजाद को समर्पित *आजाद पुस्तकालय* का शिलान्यास बिहार सरकार के पूर्व मंत्री अशोक सिंह,पूर्व प्रति कुलपति प्रो के के मंडल,सिंहेश्वर विधायक चंद्रहास चौपाल,पूर्व विधायक परमेश्वरी निराला,पूर्व एमएलसी विजय कुमार वर्मा,पूर्व कुलसचिव प्रो कपिलदेव यादव,परीक्षा नियंत्रक रहे प्रो सच्चिदानंद,पूर्व कुलसचिव प्रो शचींद्र आदि ने किया ।आजाद पुस्तकालय के शिलान्यास करते हुए पूर्व मंत्री अशोक कुमार सिंह ने कहा कि पुस्तकालय ज्ञान का व्यवस्थित केंद्र बिंदु होता है जहा अलग अलग बिंदुओं पर अध्यन की संग्रहित सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।युवा सृजन क्लब द्वारा आजाद पुस्तकालय की कल्पना आदरणीय पुण्य कार्य है।विधायक चंद्रहास चौपाल और पूर्व प्रति कुलपति प्रो के के मंडल ने कहा कि राठौर द्वारा पुस्तकालय खोलने की सोच पढ़ने लिखने वालों को विपुल मात्रा में अध्यन सामग्री उपलब्ध कराएगी और विशेष कर स्थानीय स्तर पर सर्वाधिक लाभ की संभावना रहेगी।पूर्व विधायक परमेश्वरी निराला, पूर्व एमएलसी विजय कुमार वर्मा ने कहा कि यह सराहनीय कदम है इससे स्थानीय व बाहरी छात्रों और पाठकों को लाभ मिलेगा।पूर्व कुलसचिव प्रो शचींद्र,प्रो कपिएलदेव यादव ,पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रो सच्चिदानंद यादव ने कहा कि दुनिया में शिक्षा सभी समस्याओं का निदान देती है और पुस्तकालय शिक्षा के हर बिंदुओं का संगम होता है यह आजाद पुस्तकालय की कल्पना अध्यन के साथ साथ शोध के क्षेत्र मे भी उपयोगी साबित होगा इस पर भी जरूर ध्यान दिया जाए।

*आजाद पुस्तकालय भैया के प्रति सम्मान और उन्हें हर दौर में जिंदा रखने का प्रयास*

आजाद पुस्तकालय के संस्थापक शिव राजेश्वरी युवा सृजन क्लब के महासचिव हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि आजाद पुस्तकालय युवा प्रतिभा बड़े भाई स्मृति शेष अजीत पाल सिंह आजाद की यादों को समर्पित सम्मान और हर दौर में उन्हें जीवंत रखने का प्रयास है। पिछले साल लखनऊ में एक अनियंत्रिक गाड़ी के चपेट में आने से सड़क हादसे में मौत हो गई थी।इस पुस्तकालय के माध्यम से शिक्षा के प्रचार प्रसार को जहां गति मिलेगी वहीं अध्यन की अधिक से अधिक सामग्री का अद्भुत संग्रह भी संभव होगा जो अमूल्य पूंजी साबित होगी।आजाद पुस्तकालय के संरक्षक तेज प्रताप सिंह ने अतिथियों का स्वागत और आभार जताते कहा कि आने वाले समय मे यह पुस्तकालय अपनी उपयोगिता को सिद्ध करने में कारगर साबित हो इसको लेकर हर संभव कोशिश की जाएगी।मौके पर प्रो निखिलेश सिंह,प्रो आलोक कुमार,सिद्धेश्वर काश्यप,प्रो शशि भूषण सिंह,समाजसेवी चंद्रशेखर,विनिता भारती सहित बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति रही।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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