BJP। भारतरत्न अटल जी को नमन

भारतरत्न अटल जी को नमन

मेरी राजनीति में रूचि है, लेकिन मैं अभी तक कभी भी किसी भी राजनीतिक दल का सक्रिय सदस्य नहीं रहा हूँ। मैं आम तौर पर राजनीति पार्टियों के कार्यक्रमों में भी नहीं जाता हूँ। वैसे कुछ दिनों तक ‘सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया’ के कुछ कार्यक्रमों में मेरी सक्रियता इसका अपवाद है।

मेरा किसी भी बड़े राजनेता से कोई विशेष संपर्क नहीं है और मैं आम तौर पर राजनेताओं से मिलने-जुलने की कोई कोशिश भी नहीं करता हूँ। मैंने कभी किसी भी पार्टी की चुनावी रैली में भी भाग नहीं लिया है।लेकिन कुछ वर्षों तक पत्रकारिता में सक्रिय रहने के कारण मुझे कुछ चुनावी रैलियों एवं सभाओं में चाहे-अनचाहे जाना पड़ा। जयप्रकाश उद्यान, भागलपुर में आयोजित ऐसी ही एक चुनावी सभा में मुझे भारतीय जनता पार्टी के नेता पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को देखने-सुनने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। मुझे याद है कि उस भाषण में अटल जी ने बिहार में अपहरण की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने भागलपुर के एक स्कूल के छात्र शायद किसलय के अपहरण का भी जिक्र किया और बड़े ही मार्मिक रूप से कहा कि मेरा किसलय कहाँ है ?

अटल जी के विचारों में लोगों को उद्देलित करने की क्षमता है। मुझे भी उनके कई भाषण बेहद पसंद हैं। मैं खासकर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अटल जी का भाषण अवश्य सुनता था। लेकिन अटल जी के बाद मेरा प्रधानमंत्रियों के भाषण में कोई आकर्षण नहीं रहा।वैसे मैं कविताएं बहुत कम पढ़ता हूँ और अटल जी की कविताओं के बारे में मैं उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद परिचित हुआ। शायद उनकी कविता की ज्यादातर किताबें उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद छपीं, इसलिए भी मैं उसके प्रति ज्यादा आकर्षित नहीं हो पाया। लेकिन उनकी कुछ कविताएँ मुझे बेहद पसंद हैं। एक कविता तो मेरे जीवन-आदर्श की तरह है। यह कविता है- उनकी यह कविता मुझे बेहद पसंद है-
“ऊँचे पहाड़ पर,
पेड़ नहीं लगते,
पौधे नहीं उगते,
न घास ही जमती है।
जमती है सिर्फ बर्फ,
जो, कफ़न की तरह सफ़ेद और,
मौत की तरह ठंडी होती है।
खेलती, खिलखिलाती नदी,
जिसका रूप धारण कर,
अपने भाग्य पर बूंद-बूंद रोती है।
ऐसी ऊँचाई,
जिसका परस
पानी को पत्थर कर दे,
ऐसी ऊँचाई
जिसका दरस हीन भाव भर दे,
अभिनंदन की अधिकारी है,
आरोहियों के लिये आमंत्रण है,
उस पर झंडे गाड़े जा सकते हैं,
किन्तु कोई गौरैया,
वहाँ नीड़ नहीं बना सकती,
ना कोई थका-मांदा बटोही,
उसकी छाँव में पलभर पलक ही झपका सकता है।
सच्चाई यह है कि
केवल ऊँचाई ही काफ़ी नहीं होती,
सबसे अलग-थलग,
परिवेश से पृथक,
अपनों से कटा-बँटा,
शून्य में अकेला खड़ा होना,
पहाड़ की महानता नहीं,
मजबूरी है।
ऊँचाई और गहराई में
आकाश-पाताल की दूरी है।
जो जितना ऊँचा,
उतना एकाकी होता है,
हर भार को स्वयं ढोता है,
चेहरे पर मुस्कानें चिपका,
मन ही मन रोता है।
ज़रूरी यह है कि
ऊँचाई के साथ विस्तार भी हो,
जिससे मनुष्य,
ठूँठ सा खड़ा न रहे,
औरों से घुले-मिले,
किसी को साथ ले,
किसी के संग चले।
भीड़ में खो जाना,
यादों में डूब जाना,
स्वयं को भूल जाना,
अस्तित्व को अर्थ,
जीवन को सुगंध देता है।
धरती को बौनों की नहीं,
ऊँचे कद के इंसानों की जरूरत है।
इतने ऊँचे कि आसमान छू लें,
नये नक्षत्रों में प्रतिभा की बीज बो लें,
किन्तु इतने ऊँचे भी नहीं,
कि पाँव तले दूब ही न जमे,
कोई काँटा न चुभे,
कोई कली न खिले।
न वसंत हो, न पतझड़,
हो सिर्फ ऊँचाई का अंधड़,
मात्र अकेलेपन का सन्नाटा।                           मेरे प्रभु!
मुझे इतनी ऊँचाई कभी मत देना,
ग़ैरों को गले न लगा सकूँ,
इतनी रुखाई कभी मत देना।”

इस कविता की अंतिम चार पंक्तियाँ मैं कभी नहीं भूलता हूँ-                                                  “मेरे प्रभु!
मुझे इतनी ऊँचाई कभी मत देना,
ग़ैरों को गले न लगा सकूँ,
इतनी रुखाई कभी मत देना।”

एक खास बात यह भी है कि मैंने अपने लेखन में अटल जी के ‘फीलगुड’ और ‘सानइनिंग इंडिया’ स्लोगन का बहुत प्रयोग किया है। यह बात दीगर है कि मैंने ज्यादातर उनके इन स्लोगनों की आलोचना की है। मैंने अपने चुनावी रिपोर्टों एवं आलेखों में भी इन स्लोगनों की जमीनी हकीकत पर सवाल उठाए। मेरे सहकर्मी पंकज कुमार ठाकुर के शब्दों में, “मेरे रिपोर्टों एवं भाषणों ने भी एनडीए की हार में अहम भूमिका निभाई।” (वैसे यह अतिश्योक्ति है और मेरा मकसद किसी भी पार्टी को हराना-जीताना नहीं था।)

यहाँ मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि प्रायः सभी पुरस्कार राजनीति से प्रेरित होते हैं। इसके बावजूद जब भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी ने अटल जी को भारतरत्न देने की घोषणा कि तो मुझे बहुत अच्छा लगा था। इसके पूर्व कांग्रेस पार्टी की सरकार ने क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को भारतरत्न देने की घोषणा की थी, तो बहुत बेकार लगा था।

बहरहाल, 16 अगस्त, 2018 को भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के निधन से पूरा देश मर्माहत हो गया। हमने बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा (बिहार) में 17 अगस्त, 2018 को उनके सम्मान में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया था।

रिपोर्ट-
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी एक लोकप्रिय जननेता, कुशल संगठनकर्ता, सफल पत्रकार, उच्चस्तरीय कवि एवं सबसे बढ़कर एक सच्चे इंसान थे.
उनके निधन से न केवल भारत, वरन् पूरी दुनिया को अपूर्णीय क्षति हुई है. यह बात कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय ने कही. वे शुक्रवार को श्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में विश्वविद्यालय प्रेक्षागृह में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बोल रहे थे. इस अवसर पर कुलपति सहित उपस्थित सभी लोगों ने वाजपेयी जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किया और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी.
कुलपति ने कहा कि अटल जी जाति, धर्म एवं राष्ट्र की सीमाओं से परे विश्व-नेता थे. वे मानवता के पुजारी थे. उन्होंने अपने जीवन में सबों को कोई साथ लेकर चलने की को कोशिश की। जैसा कि उनकी एक कविता की कुछ पंक्तियाँ हैं, “बाधाएँ आती हैं आएँ/ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ/ … निज हाथों में हँसते-हँसते आग लगाकर जलना होगा/ कदम मिलाकर चलना होगा.”

सभा में उपस्थित नेहू, शिलांग के पूर्व कुलपति सह नैक के पूर्व निदेशक डाॅ. ए. एन. राय ने कहा कि अटल जी एक कवि हृदय राजनेता थे. उन्होंने देश समग्र विकास का सपना देखा .हम सभी उनके सपनों को साकार करने  का संकल्प लें.
उन्होंने एक स्वरचित कविता भी सुनाई, “सुनो अटल बिहारी/ तुम्हारे सपनों का भारत बनाना होगा/ कदम मिलाकर चलना होगा.” इस अवसर पर बीएनएमयू एवं टीएमबीयू के पूर्व कुलपति  डाॅ. आर. एस. दुबे ने कहा कि अटल जी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा थे. उनकी यह मान्यता थी कि भारत मात्र भूमि का टुकड़ा नहीं है, बल्कि जीता जागता राष्ट्र है.
अटल जी ने राष्ट्र की समृद्धि का सपना देखा. वे मातृभाषा एवं मातृभूमि के लिए समर्पित थे.प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली ने कहा कि अटल जी एक जनवादी नेता थे. उनका जनता के साथ सीधा जुड़ाव था.


कार्यक्रम का संचालन पीआरओ डाॅ. सुधांशु शेखर ने किया। इस अवसर पर प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली, वित्त परामर्शी सुरेश चंद्र दास, डीएसडबल्यू डाॅ. नरेन्द्र श्रीवास्तव, सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डाॅ. शिवमुनि यादव, वाणिज्य संकायाध्यक्ष डाॅ. लम्बोदर झा, कुलानुशासक डाॅ. अरूण कुमार यादव, सीसीडीसी डाॅ. योगेन्द्र प्रसाद यादव, सिनेट सदस्य डाॅ. नरेश कुमार, सिंडीकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान, कुलसचिव नीरज कुमार, वित्त पदाधिकारी डाॅ. एम. एस. पाठक,  कुलपति के निजी सहायक शंभु नारायण यादव, प्रतिकुलपति के सहायक राजेश कुमार, पृथ्वीराज यदुवंशी सहित विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, कई महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य, छात्र संघ के प्रतिनिधिगण और बड़ी संख्या में  शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी एवं अभिभावक उपस्थित थे.
 श्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर 17 अगस्त, 2020 (शुक्रवार) को बीएनएमयू, मधेपुरा क्षेत्रान्तर्गत सभी स्नातकोत्तर विभागों एवं महाविद्यालयों में कक्षाएं बंद रहीं और इस दिन होने वाली सभी परीक्षाएं स्थगित रहीं. कुलपति के निदेशानुसार विभिन्न अंगीभूत महाविद्यालयों में भी श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गईं.

– सुधांशु शेखर, जनसंपर्क पदाधिकारी, बीएनएमयू, मधेपुरा, बिहार