कविता/ उद्धारक/ संजय सुमन

मनुजता के बीज लेकर,
जब कोई ‘राम’
धरा पर आएगा
इस धरती का अत्याचार,                           शायद तभी थम पाएगा।
तथाकथित भविष्यवेत्ताओं की,
सोच अभी नहीं हारी है
किसी कल्पित उद्धारक की                       तलाश अभी भी जारी है।

बनेगा भारत धर्मगुरु फिर से,
आएगी वेदऋचाएँ हिमगिरि से
भाग्यपूजक मनीषियों ने
ये भविष्यवाणी उचारि है।
किसी कल्पित उद्धारक की                         तलाश अभी भी जारी है।

सौप गए सत्ता हमें,
कह गए बनाए रखना
इस भारत-भूमि को                                     स्वर्ग-सा सजाए रखना
है चूर यहाँ सपने उनके,                               जब देश पे नेता भारी है
किसी कल्पित उद्धारक की                       तलाश अभी भी जारी है।

बहुत सहा इस धरती ने,                               और बहुत दुःख भोगा
अपने अन्तः के ‘राम’ को ही,
अब जगाना होगा,
हटो आधुनिकता के मेघ,
हमें सादी भारतीयता प्यारी है।
किसी कल्पित उद्धारक की                        तलाश अभी भी जारी है।कवि का संक्षिप्त परिचय-
नाम- संजय सुमन
पिता- स्व. केशरी नन्दन मिश्र
माता- स्व. श्यामा देवी
योग्यता- स्नातकोत्तर (समाजशास्त्र),          ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय,    दरभंगा (बिहार)
पेशा- स्वरोजगार एवम अध्यापन
पता- ग्राम – रुपौहाली, पो.-परबत्ता,            जिला- खगड़िया-851216 (बिहार)
कविता में रुचि का कारण- “कविताएँ भावनाओं को जीवंत रखती हैं।”