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BNMU गांधी जयंती पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

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गांधी जयंती पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
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गाँधी एक संस्था थे। उन्होंने मानव जीवन के जो प्रतिमान स्थापित किए हैं, वहां पर पहुंचना आसान नहीं है। लेकिन हमें उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास अवश्य करना चाहिए।

यह बात बीएनएमयू के कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर ने कहा कही। वे मुख्य परिसर में गाँधी प्रतिमा स्थल पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के तत्वावधान में किया गया।

कुलसचिव ने कहा कि गाँधी हम सबों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनके विचारों पर चलकर ही देश-दुनिया को बचाया जा सकता है।

इस अवसर पर आईक्यूएसी के निदेशक प्रो. नरेश कुमार ने कहा कि गाँधी शत- प्रतिशत व्यावहारिक हैं। उनके विचारों को केंद्र में रखकर ही स्वच्छता कार्यक्रम चलाया जा रहा है और नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षण एवं रोजगारपरक शिक्षा को स्थान दिया गया है।

विकास पदाधिकारी प्रो. ललन प्रसाद अद्रि ने कहा कि गाँधी पहले प्रासंगिक थे, आज प्रासंगिक हैं और आगे भी प्रासंगिक रहेंगे।

पार्वती विज्ञान महाविद्यालय के डॉ. आलोक कुमार ने कहा कि गाँधी सादा जीवन उच्च विचार के प्रतीक हैं। उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए एनएसएस समन्वयक
डॉ. अभय कुमार ने कहा कि एनएसएस गाँधी के विचारों को करें में रखकर कार्य करता है।

उप कुलकचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि भारतीय सभ्यता-संस्कृति एवं दर्शन में शुरू से ही सत्य एवं अहिंसा का आदर्श प्रस्तुत किया गया है।‌ गाँधी ने उन आदर्शों को अपने जीवन में व्यावहारिक रूप दिया।

कुलपति के निजी सचिव शंभू नारायण यादव ने कहा कि गाँधी ने नशामुक्ति पर जोर दिया था। लेकिन आज युवा वर्ग नशा की गिरफ्त में है। इससे अपराध भी बढ़ रहा है। हमारी आने वाली पीढ़ी बर्बाद हो रही है।

इस अवसर पर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के कृष्ण कुमार, उपकुलकचिव परीक्षा डॉ. उपेन्द्र प्रसाद यादव,क्षराकेश कुमार, आनंद कुमार, सौरभ कुमार चौहान, अंकेश, योगेन्द्र कुमार आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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