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RRC क्विज प्रतियोगिता आयोजित। युवा ही हैं हमारे भविष्य : कुलसचिव*

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*युवा ही हैं हमारे भविष्य : कुलसचिव*

युवा ही हमारे समाज एवं राष्ट्र के भविष्य हैं। युवाओं के विकास पर ही हमारा विकास निर्भर है। किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसके युवाओं की शक्ति एवं क्षमता से निर्धारित होती है।

यह बात कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर ने कही। वे रविवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित जिला स्तरीय रेड रिबन क्विज प्रतियोगिता का उद्घाटन कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत संचालित बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, पटना के तत्वावधान में किया गया।
*युवावस्था में तय होती है संपूर्ण जीवन की दिशा*
कुलसचिव ने कहा कि युवावस्था ही जीवन की वह अवधि है, जिसमें हमारे संपूर्ण जीवन की दिशा एवं दशा तय होती है। अतः युवाओं में स्वास्थ्य एवं अन्य मामलों को लेकर अच्छी आदतें अपनाना आवश्यक है। यदि हम युवावस्था में स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें, तो हमारे जीवन में कभी भी कोई परेशानी नहीं आएगी।

*युवाओं के लिए चलाए जा रहे हैं की कार्यक्रम*
इस अवसर पर मुख्य अतिथि एनएसएस समन्वयक डॉ. अभय कुमार ने कहा कि युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय और सभी स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा देने हेतु कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। सरकार युवाओं के प्रशिक्षण तथा उनके व्यक्तित्व विकास पर विशेष ध्यान दे रही है।

*अधिकाधिक भागीदारी अपेक्षित*
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ. कैलाश प्रसाद यादव ने बताया कि महाविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए लगातार विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसमें अधिकाधिक विद्यार्थियों की भागीदारी अपेक्षित है।

*एक आंदोलन है आरआरसी*

आयोजन सचिव डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि रेड रिबन क्लब (आरआरसी) एक संगठन या कार्यक्रम मात्र नहीं, बल्कि एक आंदोलन भी है। रेड अर्थात् लाल एक साथ युद्ध एवं प्रेम दोनों का प्रतीक है। अतः रेड रिबन एड्स के खिलाफ युद्ध और एड्स पीडितों के लिए प्रेम का संदेश देता है। आरआरसी का गठन एड्स एवं स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति जागरूकता के लिए किया गया है। बिहार के विभिन्न संस्थानों में 420 रेड रिबन क्लब सक्रिय हैं।

*युवाओं को जागरूक करना जरूरी*

उन्होंने बताया कि 15 से 29 वर्ष के युवा इसके सदस्य हो सकते हैं। यह युवाओं में जागृति लाने और उनमें नेतृत्व क्षमता के विकास हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता है। क्विज प्रतियोगिता भी उसी की एक कड़ी है।

*पांच राउंड में हुई प्रतियोगिता*

बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के अखिलेश रंजन ने बताया कि ने बताया कि जिला स्तरीय प्रतियोगिता पांच राउंड में संपन्न हुई। इसमें स्वास्थ्य के अलावा सामान्य ज्ञान, समसामयिकी, खेलकूद एवं सोशल मीडिया से संबंधित प्रश्न पूछे गए। जिला स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम आने वाली टीम आगे प्रमंडल स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेगी। आगे राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतियोगिता आयोजित होगी।

*बीएनएमभी कॉलेज की टीम को प्रथम स्थान*

समीति के बलराम कुमार ने बताया कि प्रतियोगिता में बीएनएमभी कॉलेज, मधेपुरा मनीष कुमार एवं चुन्नी कुमारी की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। टीपी कॉलेज, मधेपुरा के अमित कुमार एवं शिवानी प्रिया की टीम को द्वितीय और केपी कॉलेज, मुरलीगंज के अमित कुमार एवं मो. असद आलम की टीम को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। मधेपुरा कॉलेज, मधेपुरा के निक्की कुमारी एवं शाहरुख की टीम चतुर्थ स्थान पर रही।
*प्रमाण-पत्र वितरित*
उन्होंने बताया कि सभी विजेताओं के साथ-साथ सभी प्रतिभागियों, सभी नोडल पदाधिकारियों और सभी प्रतिभागी महाविद्यालयों को भी प्रमाण-पत्र वितरित किया गया।
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इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत में महाविद्यालय के संस्थापक महामना कीर्ति नारायण मंडल और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के चित्र पर पुष्पांजलि की गई। तदुपरांत दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। अतिथियों को अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ, गांधी-विमर्श पुस्तक, कलम एवं तुलसी का पौधा भेंट कर सम्मानित किया गया। स्वागत भाषण मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन एनसीसी पदाधिकारी ले. गुड्ड कुमार ने किया। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरेन्द्र कुमार, डॉ. आरती झा, डॉ. राकेश कुमार, डॉ. केके भारती, मनीष कुमार, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, नयन रंजन, मो. आदिल, अंकित कुमार ने कार्यक्रम के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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