BNMU “कोरोना का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव” विषयक वेबीनार में प्रोफेसर के. के. साहु आमंत्रित वक्ता के रूप में व्याख्यान देंगे

28 अगस्त, 2020 : “कोरोना का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव” विषयक वेबीनार में प्रोफेसर के० के० साहु, विकास पदाधिकारी सह प्रोफ़ेसर स्नातकोत्तर वनस्पति विज्ञान विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा, आमंत्रित वक्ता के रूप में व्याख्यान देंगे।

28 अगस्त, 2020 ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय मधेपुरा में हो रही वेबीनार सीरीज के अंतर्गत प्रोफेसर के० के० साहु, विकास पदाधिकारी सह प्रोफ़ेसर स्नातकोत्तर वनस्पति विज्ञान विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा, “कोरोना के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव” विषयक वेबीनार में आमंत्रित वक्ता के रूप में व्याख्यान देंगे।


डाॅ. साहु ऐसा नाम है जिनकी चर्चा किये बिना लनामिवि दरभंगा के विश्वविद्यालय प्रशासन का कार्य अधूरा-अधूरा सा लगता है। जब-जब विश्वविद्यालय के प्रशासनिक महकमा की बात होती है तो उनका नाम पूरे सम्मान के साथ लिया जाता है। एक ऐसा चेहरा जो भाषा में मृदुभाषी हो और संबंधित कार्य के क्षेत्र में सजग व अनवरत कार्य करने में सक्षम हो। जो अपने कार्य को पूरे संजीदगी से पूरा करता हो। जिनके क्लास लेक्चर की विद्यार्थियों में विशेष मांग हो। जो रिसर्च क्षेत्र का विशेषज्ञ ज्ञाता हो वो कोई और नहीं विश्वविद्यालय के विकास पदाधिकारी प्रो० के० के० साहु हैं।
प्रो० के० के० साहु विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागीय प्राध्यापक हैं। उनके कार्यकुशलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2014 से वो लगातार विकास पदाधिकारी के पद पर विराजमान हैं। विश्वविद्यालय में लगातार एक पद पर काबिज रहना यह साबित करता है कि उनके कार्यकुशलता का दूर-दूर तक कोई सानी नहीं। कुशल और प्रभावी ढंग से विश्वविद्यालय के नैक मान्यता के दूसरे चक्र के दौरान ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के आइक्यूएससी समन्वयक के रूप में महत्त्वपूर्ण काम के बदौलत अपना अमिट छाप छोड़ा है विश्वविद्यालय में अनुसंधान संबंधी सभी गतिविधियाँ, विशेष रूप से फैलोशिप और यूजीसी की परियोजनाएँ कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने का सारा श्रेय इनको जाता है। डॉ० साहु को कंप्यूटर साइंस में भी स्थानीय विश्वविद्यालय स्तर पर महारथ हासिल है, जिसका ज्वलंत उदाहरण यह कोरोनाकाल है जिसमें उन्हें “ऑनलाइन क्लासेस कमिटी” का संयोजक बनाया गया है। जिस दरम्यान ये 21 विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर विभाग व 43 अंगीभूत महाविद्यालय की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। छात्रों के बीच में खासे लोकप्रिय हैं। मितभाषी प्रवृत्ति के डॉ० साहु ज्ञान के एक ऐसे अथाह सागर हैं जिनमें जितनी बार चाहे छात्र डुबकी लगाये एक बार भी वो खाली हाथ नहीं लौट सकता। वो अपने अद्भुत प्रशासनिक क्षमता, अकल्पनीय शैक्षणिक क्षमता व अविश्वसनीय शोध क्षमता के लिये ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा, बिहार में जाने जाते हैं।

रिपोर्ट- डाॅ. आनन्द मोहन झा, अतिथि सहायक प्राध्यापक, मनोहरलाल टेकरीवाल कॉलेज, सहरसा (पूर्व नाम सहरसा कॉलेज, सहरसा), भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा