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BNMU दीक्षांत समारोह को लेकर 9 समितियों का गठन

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*दीक्षांत समारोह को लेकर 9 समितियों का गठन*

आगामी तीन अगस्त को निर्धारित भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के चतुर्थ दीक्षांत समारोह के सफल आयोजन हेतु नौ समितियों का गठन किया गया है। प्रथम समिति अनुश्रवण एवं निर्देशन समिति है, जिसमें कुलपति डॉ. आर. के. पी. रमण को संयोजक, प्रति कुलपति डॉ. आभा सिंह को सह संयोजक एवं कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर को सदस्य- सचिव बनाया गया है।

द्वितीय प्रमाण पत्र तैयारी समिति में सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. राजकुमार सिंह को संयोजक एवं परीक्षा नियंत्रक आर. पी. राजेश को सदस्य-सचिव बनाया गया है।
तीसरी कार्यक्रम प्रबंधन समिति तथा चौथी स्वागत समिति में क्रमशः कुलानुशासक डॉ. बीएन विवेका एवं अध्यक्ष, छात्र कल्याण डॉ. पवन कुमार को संयोजक तथा शैक्षणिक निदेशक डॉ. एम. आई. रहमान एवं परिसंपदा पदाधिकारी डॉ. गजेन्द्र कुमार को सदस्य-सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। पांचवीं परिधान समिति में निदेशक शैक्षणिक डॉ. एम. आई. रहमान संयोजक एवं सीसीडीसी डॉ. इम्तियाज अंजुम को सदस्य-सचिव बनाया गया है। छठी समिति आतिथ्य एवं भोजन समिति है, जिसमें वित्तीय परामर्शी नरेंद्र प्रसाद सिन्हा संयोजक एवं बीएओ डॉ. सुभाष कुमार पोद्दार सदस्य-सचिव हैं। सातवीं सुविधा एवं परिवहन समिति में सीसीडीसी डॉ. इम्तियाज अंजुम एवं परिसंपदा पदाधिकारी डॉ. गजेन्द्र कुमार क्रमशः संयोजक एवं सदस्य-सचिव की भूमिका निभाएंगे। आठवीं सांस्कृतिक कार्यक्रम समिति में गृह विज्ञान विभाग की डॉ. रीता सिंह को संयोजक एवं उप सचिव, क्रीड़ा डॉ. शंकर कुमार मिश्र सदस्य-सचिव, जबकि नौवीं प्रेस समिति में शैक्षणिक निदेशक डॉ. एम. आई. रहमान संयोजक एवं पीआरओ डॉ. सुधांशु शेखर सदस्य-सचिव हैं।

कुलपति डाॅ. आर. के. पी. रमण ने कहा है कि सब मिलकर इस समारोह को ऐतिहासिक एवं यादगार बनाएंगे। उन्होंने सभी पदाधिकारियों, कर्मचारियों और समिति के सभी सदस्यों को निदेशित किया है कि दीक्षांत समारोह से संबंधित कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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