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NMM डिजिटलाइज्ड सामग्रियों का उपयोग जरूरी : डॉ. देवेन्द्र कुमार सिंह

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*डिजिटलाइज्ड सामग्रियों का उपयोग जरूरी : डॉ. देवेन्द्र कुमार सिंह*

भारत में करीब एक करोड़ पांडुलिपियां हैं। इनमें 43.90 लाख को सूचीबद्ध किया जा चुका है और तीन लाख पांडुलिपियों के डिजिटलाइजेशन के साथ ही 8 करोड़ 27 लाख पृष्ठों को संरक्षित किया जा चुका है।

यह बात बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ देवेंद्र कुमार सिंह ने कही।

वे मंगलवार को तीस दिवसीय उच्चस्तरीय राष्ट्रीय कार्यशाला में व्याख्यान दे रहे थे। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन योजना के तहत यह कार्यशाला केंद्रीय पुस्तकालय, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित हो रही है।

*डिजिटलाइज्ड सामग्रियों का काफी महत्व*

उन्होंने कहा कि डिजिटलाइज्ड सामग्रियों का काफी महत्व है। लेकिन पांडुलिपियों का मात्र डिजिटलाइजेशन ही जरूरी नहीं है, बल्कि उसका सूचीकरण भी होना चाहिए। साथ ही डिजिटलाइज्ड पांडुलिपियों को सुगमतापूर्वक आम शोधार्थियों के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पांडुलिपियों में निहित ज्ञान महत्वपूर्ण है। लेकिन हमें इसमें उपयोगी सूचना को संरक्षित करना है।पांडुलिपियों में निहित ज्ञान का जन कल्याण में उपयोग होना चाहिए। लेकिन यह दुखद है कि आज सूचनाओं का बाढ़ है, लेकिन उसका समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है।

उन्होंने प्रतिभागियों को पांडुलिपियों के डिजिटल संरक्षण के तकनीकों और मानकों के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया। साथ ही डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं और उसको किस प्रकार दूर करने के उपायों की जानकारी भी दी।

इस अवसर पर आर. एम. कालेज, सहरसा के मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ. डी. एन. साह ने कहा कि पांडुलिपियों के सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ उसका व्यावहारिक प्रशिक्षण भी जरूरी है। इस दिशा में यह कार्यशाला काफी उपयोगी है। उन्होंने ब्राह्मी, नागरी एवं मिथिलाक्षर लिपियों के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दीं।

कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर ने सभी कहा कि इस कार्यशाला में कई स्थानीय वक्ताओं के अलावा देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से विशेषज्ञ आ रहे हैं। उन्होंने सभी विशेषज्ञों के प्रति आभार व्यक्त किया और सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया।

 

व्याख्यान के बाद विशेषज्ञ वक्ता का अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ एवं स्मृतिचिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर संयोजक डॉ. अशोक कुमार, आयोजन सचिव सह उप कुलसचिव (शै.) डॉ. सुधांशु शेखर, पृथ्वीराज यदुवंशी, सिड्डु कुमार, डॉ. मो. आफताब आलम (गया), नीरज कुमार सिंह (दरभंगा), डॉ. सोनम सिंह (उत्तर प्रदेश), सौरभ कुमार चौहान, डॉ. संगीत कुमार, राधेश्याम सिंह, त्रिलोकनाथ झा, ईश्वरचंद सागर, बालकृष्ण कुमार सिंह, कपिलदेव यादव, अरविंद विश्वास, अमोल यादव,‌ रश्मि, ब्यूटी कुमारी, खुशबू, डेजी, लूसी कुमारी, रुचि कुमारी, स्नेहा कुमारी, श्वेता कुमारी, मधु कुमारी, इशानी, प्रियंका, निधि आदि उपस्थित थे।

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