NMM हमारी राष्ट्रीय संपदा हैं पांडुलिपियां : डॉ. उत्तम सिंह

**हमारी राष्ट्रीय संपदा हैं पांडुलिपियां : डॉ. उत्तम सिंह*

भारत में दुनिया की सर्वाधिक पांडुलिपियां हैं। ये
पांडुलिपियां हमारी प्राचीन ज्ञान परम्परा की वाहक हैं और इन्हीं की बदौलत हमें दुनिया में विश्वगुरु का दर्जा प्राप्त है।

यह बात केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, अगरतला परिसर, अगरतला (त्रिपुरा) में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. उत्तम सिंह ने कही। वे रविवार को तीस दिवसीय उच्चस्तरीय राष्ट्रीय कार्यशाला में व्याख्यान दे रहे थे।

*भारत में विभिन्न विषयों से संबंधित पांडुलिपियां उपलब्ध हैं*

उन्होंने कहा कि भारत में ज्योतिष, व्याकरण, आयुर्वेद, साहित्य, रसायनशास्त्र, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, प्रबंधनशास्त्र आदि विविध विषयों से संबंधित पांडुलिपियां उपलब्ध हैं। हमारे पूर्वज, ॠषि, महर्षि, आचार्य, योगी दूरदृष्टा थे।उन लोगों ने अपनी तपस्या एवं साधना एवं शोध के माध्यम से जीवन एवं जगत के रहस्यों को जाना-समझा और उसे पांडुलिपियों में संगृहित कर उसे हम तक पहुँचाया है।

*पूरी दुनिया में थीं भारतीय पांडुलिपियों की ख्याति*

उन्होंने कहा कि भारतीय पांडुलिपियों की ख्याति पूरी दुनिया में थीं। पांडुलिपियों की खोज में प्राचीन काल से विदेशी शोधार्थी लम्बी यात्रा करके भारत आते थे। नालन्दा विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों में लाखों पांडुलिपियों का संग्रह था। विदेशी विद्यार्थी यहाँ आकर उन ग्रन्थों एवं आचार्य से ज्ञान प्राप्त करते थे।

इस अवसर पर केंद्रीय पुस्तकालय के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. अशोक कुमार, उप कुलसचिव अकादमिक डॉ. सुधांशु शेखर, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. संगीत कुमार, जयप्रकाश भारती, मधु कुमारी, ईश्वरचंद सागर, जयश्री कुमारी, श्वेता कुमारी, इशानी, प्रियंका, निधि, खुशबू, डेजी, त्रिलोकनाथ झा, नीरज कुमार सिंह, लूसी कुमारी, रुचि कुमारी, स्नेहा कुमारी, रश्मि कुमारी, अरविंद विश्वास, अमोल यादव,‌ सौरभ कुमार चौहान, अंजली कुमारी, मधु कुमारी, ब्यूटी कुमारी, रवींद्र कुमार, बालकृष्ण कुमार सिंह, कपिलदेव यादव, शंकर कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।