NMM समय-गणना में भी अग्रणी रहा है भारत : डॉ. जीवानन्द झा

*समय-गणना में भी अग्रणी रहा है भारत : डॉ. जीवानन्द झा*

*समय-गणना का भारतीय मापदंड है संवत : डॉ. जीवानन्द झा*

प्राचीन भारत ज्ञान-विज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में समृद्ध था। हम समय-गणना के क्षेत्र में भी दुनिया में अग्रणी थे।

यह बात ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) जीवानन्द झा ने कही। वे गुरुवार को ‘पांडुलिपि विज्ञान एवं लिपि विज्ञान’ पर आयोजित तीस दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यशाला राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के सौजन्य से केन्द्रीय पुस्तकालय, पुराना परिसर, बीएनएमयू, मधेपुरा में आयोजित हो रही है।

*दुनिया की सबसे अधिक वैज्ञानिक विधि है संवत*

उन्होंने कहा कि भारत में समय-गणना की परंपरा सैकड़ों वर्ष पुरानी है। हम काल-गणना के लिए शुरू से ही संवत का उपयोग करते आ रहे हैं। संवत की हमारी भारतीय विधि दुनिया की सभी विधियों से अधिक वैज्ञानिक है और इसकी गणना आज भी सबसे अधिक सटीक है।

*मुख्य है विक्रम संवत*

उन्होंने बताया कि भारत में मुख्य रूप से विक्रम संवत प्रचलन में है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित हिन्दू पंचांग है। यह भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा नेपाल में भी प्रचलित है।

उन्होंने बताया कि विक्रम संवत का आरंभ ईसा के जन्म से 57 वर्ष पहले हुआ था। 8 वीं एवं 9वीं शती के पांडुलिपियों में विक्रम संवत का नाम विशिष्ट रूप से मिलता है।

उन्होंने बताया कि विक्रम संवत का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मानाया जाता है। इसी संवत के माध्यम से बारह महीने का एक वर्ष और सात दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन शुरू हुआ।

उन्होंने कहा कि भारत में विक्रम संवत के अलावा वीर संवत (527 ई. पू.), शक संवत (78 ई.), गुप्त संवत (320 ई.), कलचुरी संवत (248 ई.), हर्ष संवत (606 ई.), लक्ष्मण संवत (1119 ई.) आदि भी प्रचलित रहे हैं।

इस अवसर पर केंद्रीय पुस्तकालय के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. अशोक कुमार, उप कुलसचिव अकादमिक डॉ. सुधांशु शेखर, सिड्डु कुमार, पृथ्वीराज यदुवंशी, नीरज कुमार सिंह, डॉ. राजीव रंजन, जयप्रकाश भारती, मधु कुमारी, लूसी कुमारी, रुचि कुमारी, स्नेहा कुमारी, रश्मि कुमारी, त्रिलोकनाथ झा, डॉ. संगीत कुमार, रवींद्र कुमार, बालकृष्ण कुमार सिंह, कपिलदेव यादव, शंकर कुमार सिंह, ब्यूटी कुमारी, अमोल यादव, अरविंद विश्वास, सौरभ कुमार चौहान, अंजली कुमारी आदि उपस्थित थे।

*पांडुलिपि संरक्षण की अपील*
आयोजन सचिव डॉ. सुधांशु शेखर ने इस क्षेत्र के लोगों से अपील की कि यदि उनके पास कोई महत्वपूर्ण पांडुलिपि है, तो वे केंद्रीय पुस्तकालय से संपर्क करें। उनकी पांडुलिपि का निःशुल्क संरक्षण एवं प्रकाशन की व्यवस्था की जाएगी और पांडुलिपि उनको वापस लौटा दी जाएगी। यदि इस क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण अप्रकाशित पांडुलिपियां मिलेंगी, तो यहां पांडुलिपि संरक्षण केंद्र की शुरुआत भी हो सकती है।

*होगा क्षेत्र भ्रमण*
उन्होंने बताया कि कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को कंदाहा सूर्य मंदिर एवं मटेश्वर स्थान का भ्रमण कराया जाएगा। इसमें व्याख्यान देने के लिए कुलपति डॉ. आर. के. पी. रमण, प्रति कुलपति डॉ. आभा सिंह, पूर्व कुलपति डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी, सिंडिकेट सदस्य डॉ. रामनरेश सिंह, विकास पदाधिकारी डॉ. ललन प्रसाद अद्री एवं ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा की डॉ. वीणा कुमारी से भी अनुरोध किया गया है।