ICPR डाॅ. सिन्हा को कर्मवीर अवार्ड

*डाॅ. सिन्हा को कर्मवीर अवार्ड*

शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् (आईसीपीआर) के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध दार्शनिक प्रोफेसर डाॅ. रमेशचन्द्र सिन्ह को शिक्षा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए आज का कर्मवीर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है। आपको यह सम्मान मुम्बई में आयोजित एक समारोह में समाजसेवी आर. पी. सिंह एवं अनुपमा सिंह द्वारा प्रदान दिया गया।

बीएनएमयू, मधेपुरा के जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने इस सम्मान के लिए डाॅ. सिन्हा को बधाई और समारोह के आयोजकों को साधुवाद दिया है।

डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिन्हा ने देश में दर्शनशास्त्र को लोकप्रिय बनाने और आईसीपीआर की योजनाओं को सुदुर विश्वविद्यालयों तक पहुंचाने में महती भूमिका निभाई है। इसी की बानगी है कि आज बीएनएमयू, मधेपुरा में भी लगातार आईसीपीआर द्वारा प्रायोजित एवं अनुदानित कार्यक्रम हो रहे हैं।

डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिन्हा का बीएनएमयू, मधेपुरा से काफी लगाव है। आप यहाँ विषय विशेषज्ञ के रूप में कई बार आ चुके हैं। मार्च 2018 में उन्होंने टी. पी. काॅलेज, मधेपुरा में ‘सीमांत नैतिकता और सामाजिक न्याय’ पर एक सारगर्भित व्याख्यान दिया था। साथ ही आपने आपने मार्च 2021 में आयोजित दर्शन परिषद्, बिहार के अधिवेशन सहित कई कार्यक्रमों में ऑनलाइन व्याख्यान भी दिया है।

डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिन्हा की पुस्तक आधुनिक भारतीय विचारक बीएनएमयू सहित देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में अनुशंसित हैं। आप अखिल भारतीय दर्शन परिषद् द्वारा प्रकाशित यूजीसी केयर लिस्टेड जर्नल ‘दार्शनिक त्रैमासिक’ के प्रधान संपादक हैं। इस जर्नल में बीएनएमयू के शिक्षकों एवं शोधार्थियों के आलेखों को उदारतापूर्वक स्थान मिलता रहा है।

डाॅ. शेखर ने बताया कि पूर्व में भी डाॅ. सिन्हा को जेपी लोकनायक सम्मान एवं विद्याभूषण सम्मान प्राप्त हो चुका है। आपके सम्मान में अनुप्रयुक्त नीतिशास्त्र के आयाम विषयक ग्रंथ का प्रकाशन भी किया गया है, जिसमें बीएनएमयू के शिक्षकों के आलेख भी प्रकाशित हुए हैं।

डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिन्हा पटना विश्वविद्यालय, पटना के दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष रहे हैं। ये आईसीपीआर के सीनियर फेलो एवं गवर्निंग बाॅडी के सदस्य रह चुके हैं और इसका अध्यक्ष बनने वाले पहले बिहारी हैं। आपने विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए दर्शनशास्त्र के उन्नयन में जो महती योगदान दिया है, वह अत्यंत ही सराहनीय है और उसके लिए कोई भी पुरस्कार कम है।