BNMU *शांति एवं सह-अस्तित्व के लिए भी खतरा है कोरोना : प्रति कुलपति*

*शांति एवं सह-अस्तित्व के लिए भी खतरा है कोरोना : प्रति कुलपति*

कोरोना महामारी से पूरी दुनिया त्रस्त है। इस महामारी ने किसी को भी नहीं छोड़ा है। इसने हमारे जीवन में भूचाल ला दिया है। कोरोना ने न केवल स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अर्थशास्त्र को प्रभावित किया है, बल्कि यह शांति एवं सहअस्तित्व के लिए भी बड़ा खतरा बनकर सामने आया है।

यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा की प्रति कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आभा सिंह ने कही। वे मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में बोल रही थीं। इसका विषय ‘रिकवरिंग बेटर फाॅर एन इक्वटाबल एंड सस्टेनेबल वर्ल्ड’ था। यह आयोजन महात्मा गाँधी संस्थान, माॅरिशस के स्कूल ऑफ इंडोलाॅजिकल स्टडीज द्वारा आयोजित किया गया था।

प्रति कुलपति ने कहा कि सामान्यतः ऐसा लगता है कि सभी व्यक्ति अलग-अलग हैं। लेकिन वास्तव में सभी एक-दूसरे से जुड़े हैं- सभी संपूर्ण सृष्टि से जुड़े हैं।

प्रति कुलपति ने कहा कि प्रत्येक मानव प्रकृति- पर्यावरण और चराचर जगत से जुड़ा हुआ है।मानव ब्रह्मांड में होने वाली सभी घटनाओं से प्रभावित होता है और मानव का हर कर्म भी संपूर्ण संसार को प्रभावित करता है। मानव का अच्छा कर्म संसार को विकास के मार्ग पर ले जाता है, जबकि उसका बुरा कर्म संपूर्ण चराचर जगत के विनास का कारण बनता है।

उन्होंने कहा कि हमारा स्वास्थ्य भी वैश्विक संतुलन पर निर्भर है। यदि प्रकृति-पर्यावरण संतुलित एवं सामंजस्यपूर्ण स्थिति में रहेगा, तभी हम सही मायने में स्वस्थ रह सकेंगे। अतः हमें अपने अलावा दूसरों का भी ख्याल रखना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ‘धर्म’,’ऋत’ एवं ‘ॠण’ का प्रत्यय भारतीय विचारधारा की धूरी है। इनमें न्याय, कर्तव्यपरायणता एवं करूणा आदि भारतीय मूल्य समाहित हैं। ये मूल्य कोरोना सहित सभी संकटों से बचाव में मददगार हो सकते हैं। वास्तव में प्रेम एवं करूणा का मरहम ही संसार को सभी प्रकार के दुख एवं द्वैद्य से मुक्त कर सकता है। इसी से वैश्विक स्तर पर शांति की संस्कृति भी विकसित होगी।

कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी ऑफ बुखारेस्ट, रोमानिया के डाॅ. ऑविड्यू क्रिश्चियन नेहू, अमिटी विश्वविद्यालय, भारत के ऋचा कपूर मेहरा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समन्वयक की भूमिका डाॅ. वेदिका हरदयाल चिखोरी ने निभाई। दर्शनशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. सुधांशु शेखर एवं शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।