BNMU मैं बहुत दुखी हूँ…/ रामशरण

मैं बहुत दुखी हूँ…

-रामशरण, भागलपुर

19 जुलाई, 2020

😢😢😢
इसलिये नहीं कि
आज ही के दिन मेरी पत्नी मीना जी की मृत्यु हुई थी। चीनी घट जाने के कारण वे गहरी बेहोशी मे चली गई थीं। उन्हें कलकत्ता के अपोलो अस्पताल में तीन सप्ताह तक भर्ती रखा गया। उन्हें सांस लेने मे दिक्कत आने डाक्टरों ने वेंटिलेटर लगाने की सलाह दी थी, जो मैने मान लिया। वेंटिलेटर लगाने के लिए उनके गले मे छेद करके फेफडे तक हवा की पाइप पहुंचायी गई। मुंह टेप लगाकर बंद कर दिया गया। मै इंतजार करता रहता था कि उन्हें होस आये। कभी कभी उन्हें होस आता तो वे मुझे देखती रहतीं पर कुछ बोल नहीं सकती थीं। इतना कष्ट देने के बावजूद मैं उन्हें नहीं बचा पाया। क्या मैं कभी उन नजरों को भूल पाऊँगा ?
मुझे दुख इस बात का है कि आज भारत में कोरोना के कारण रोज हजारों मरीजों को वेंटिलेटर लगाया जा रहा है। जब कि एक प्रतिष्ठित अस्पताल की रपट है कि जिन मरीजों को वेंटिलेटर लगाया गया उसमें से 97% की मृत्यु हो गई। मुझे एक वरीष्ठ डाक्टर, जो मेरे रिस्तेदार भी हैं, ने बताया था कि वेंटिलेटर लगाने से बहुत खतरनाक इंफेक्शन हो जाता है। फिर अस्पताल, डाक्टर और मीडिया वेंटिलेटर के उपयोग पर इतना जोर क्यों दे रहे हैं? तीन प्रतिशत से अधिक मरीज तो बिना वेंटिलेटर के अपनी जीवनी शक्ति से ठीक हो सकते हैं ।
मैने करीब तीन महीने पहले ही सुना था कि इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी के मालिक एलन मस्क राकेट बनाने का प्रोजेक्ट छोडकर अब वेंटिलेटर बनायेंगे। वे जानते थे कि इसमें भारी मुनाफा होने वाला है। एक वेंटिलेटर आमतौर पर दस लाख रूपये मे आता है। वेंटिलेटर बनाने वाली कंपनियों को कितनी ज्यादा कमाई हो रही है। इसी लिए वेंटिलेटर पर जोर दिया जा रहा है। हर अस्पताल मे 25% बेड पर वेंटिलेटर रहे यह आवश्यक माना जाता है।
मै विशेषज्ञ नहीं हूँ, पर मुझे लगता है कि सरकार को वेंटिलेटरों पर खर्च कर के बदले जांच और जरूरी दवाओं पर खर्च करना चाहिए। गांधी जी होते तो शायद वेंटिलेटर का उपयोग को हिंसा मानकर विरोध करते।।।😢