Search
Close this search box.

Poem विषाद मन का/डॉ. कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’, श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

डॉ कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’
श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड

विषाद मन का, डूबते दिन- सा,
लेखनी असहयोग कर बैठी।
वो मेरी चूनर का सितारा तय था,
उसकी प्रीत परायों से संयोग कर बैठी।
हाथ में मौली -सा जिसका प्यार बाँधा,
वही समय-गति, मेरा उपयोग कर बैठी।
चुप है- झिर्री से आता हुआ उजाला,
सूरज है- विमुख, किरण वियोग कर बैठी।
अँधेरे में छोड़ दिया साथ परछाई-सा
उसकी निष्ठा छल का प्रयोग कर बैठी।
दीपक है मेरा प्यार आँधी से संघर्ष करेगा
समर्पण की चेतना हठयोग कर बैठी।

(बीएनएमयू संवाद के लिए आपकी रचनाएं एवं विचार सादर आमंत्रित हैं। आप हमें अपना आलेख, कहानी, कविताएं आदि भेज सकते हैं।
संपर्क वाट्सएप -9934629245)

READ MORE