विश्वविद्यालय और आईसीपीआर, नई दिल्लीं के बीच एमओयू
डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर एवं भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) किया गया है। इसके तहत दोनों संस्थाओं के बीच यह करार हुआ कि दर्शनशास्त्र विभाग में सम्पादित भारतीय-दर्शन बृहत्कोश का प्रकाशन किया जायेगा, यह बृहत्कोश लगभग 13500 पृष्ठों में 40 भागों में लिखा गया है। कोश का प्रकाशन ऑनलाइन एवं सजिल्द पुस्ताकाकार दोनों ही प्रारूपों में किया जायेगा जिसका समस्त व्यय भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद् वहन करेगी। इस प्रकाशन के आधार पर संगोष्ठियों, कार्यशालाओं और सम्मेलनों का आयोजन किया जायेगा। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय-दर्शन बृहत्कोश को भारतीय दर्शन के विद्वानों, विद्यार्थियों और आम पाठकों के लिए उपलब्ध कराया जाना है। यह सभी के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। इस MoU का हस्तान्तरण भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद् के सदस्य सचिव प्रो. सच्चिदानन्द मिश्रा और दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार तिवारी के मध्य हुआ। इसके पीछे प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा की उल्लेखनीय भूमिका रही। विश्वविद्यालय की माननीया कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने इसपर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए दोनों पक्षों को हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित की। उन्होंने कहा कि इस कोश के माध्यम से भारतीय दर्शन को सही परिप्रेक्ष्य में समझने में सहायता मिलेगी और शोधकार्यों को बढ़ावा मिलेगा।