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*यू.आर काॅलेज, रोसड़ा में गुरुनानक के विचारों के परिप्रेक्ष्य मे नई शिक्षा नीति 2020 पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित* 

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*यू.आर काॅलेज, रोसड़ा में गुरुनानक के विचारों के परिप्रेक्ष्य मे नई शिक्षा नीति 2020 पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित* 

उदयनाचार्य रोसड़ा महाविद्यालय, रोसड़ा में शनिवार की देर शाम तक गुरुनानक के विचारों के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार समाज विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष प्रोफेसर लाल बाबू यादव ने की। कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत गान और दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। प्रधानाचार्य सह आयोजन सचिव डाॅ घनश्याम राय ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने आगामी 15-16 फरवरी 2025 को यू आर कॉलेज में प्रस्तावित बिहार समाज विज्ञान अकादमी के चतुर्थ राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन की तैयारी की विस्तृत जानकारी दिए।

बिहार समाज विज्ञान अकादमी के पूर्व महासचिव डाॅ अनिल कुमार राय ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम अपने इतिहास,संस्कृति,एतिहासिक पुरूषों और परंपराओं को परिवर्तित रूप में स्वीकार करते हैं। गुरुनानक के विचारों की व्याख्या करते हुए कहा कि छह सौ वर्षों बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 आई है। 

प्रोफेसर डी एम दिवाकर, पूर्व निदेशक ए एन सिंह इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस पटना ने कहा कि गुरुनानक जी दार्शनिक,समाज सुधारक,धर्म सुधारक, कवि,देशभक्त और विश्वबन्धुत्व- सभी गुण समेटे हुए थे। प्रो0 अरुण कुमार,महासचिव, एआईफुक्टो,नई दिल्ली ने कहा कि गुरुनानक के विचार आज भी प्रासंगिक है।

आयोजन संयुक्त सचिव डॉ राकेश रंजन सिंन्हा, प्रधानाचार्य डीबीकेएन कॉलेज, नरहन ने विषय परिवर्तन किया। डॉ. गौरी शंकर प्रसाद सिंह, सेवा निवृत्त प्राध्यापक, डॉ. बी. के. तिवारी, सेवानिवृत्त प्राध्यापक, डॉ. उमेद साहेब, सेवानिवृत्त प्राध्यापक ने कार्यक्रम को संबोधित किया।

सभी वक्ताओं ने 555 वर्ष पूर्व जन्म लेकर समाज के निर्माण में उनके योगदान पर चर्चा किए। गुरुनानक जी के आदर्शों एवं व्यक्तित्व पर व्याख्यान देते हुए विद्यार्थियों से कहा कि ऐसे महान व्यक्तित्व के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है।

धन्यवाद ज्ञापन डॉ विनय कुमार के द्वारा किया गया। मंच संचालन डॉ अमरेश कुमार सिंह ने किया।

इस अवसर पर शिक्षक प्रो. प्रवीण कुमार प्रभंजन, डॉ. विनय कुमार, जाकिर हुसैन, डॉ. अरुण कुमार राय, डॉ. श्याम सुन्दर शर्मा, डॉ. सतीश कुमार, डॉ. संजय कुमार, डॉ. अमन आबेद, डॉ. कश्तूरिका कानन, डॉ. उमाशंकर साह, डॉ. रोहित कुमार, डॉ. सौरभ कुमार झा, डॉ. संतोष कुमार, डॉ उमाकांत प्रसाद, डॉ दिनेश्वर राय, हेमकांत ठाकुर, बालबोध चौधरी, ललित मंडल, अंकित,विकेश,सुनील,सुजीत,जीतू आदि एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

 

रोसड़ा,समस्तीपुर

दिनांक: 16/11/2024

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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