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BNMU। बीएनएमयू के अतिथि व्याख्याताओं को शीघ्र मिलेगा मानदेय

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बीएनएमयू के अतिथि व्याख्याताओं को शीघ्र मिलेगा मानदेय


बिहार सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय के अंतर्गत राज्य के सभी परंपरागत विश्वविद्यालयों, अधीनस्थ अंगीभूत महाविद्यालयों तथा अल्पसंख्यक/घाटानुदानित महाविद्यालयों में विधिवत रूप से सृजित पदों पर नियमित रूप से नियुक्त होकर कार्यरत एवं सेवानिवृत्त शिक्षकों/ शिक्षकेतर कर्मियों के वेतन/सेवान्त लाभ के भुगतान हेतु वेतनादि/गैरवेतनादि मद में कुल रूपए 266 करोड़ 90 लाख 92 हजार एक 167 रू. मात्र सहायक अनुदान की स्वीकृति प्रदान की गई है।

 

जून 2020 के वेतनादि मद में माह बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के लिए 10 करोड़ 16 लाख 11 हजार 378 राशि स्वीकृत की गई है। इसमें भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में बहाल 180 अतिथि शिक्षकों के नवंबर 2019 से फरवरी 2020 तक के मानदेय भुगतान हेतु एक करोड़ एकतालिस लाख पछहत्तर हजार रुपए शामिल है।

इस तरह बीएनएमयू के अतिथि व्याख्याताओं को पहली बार मानदेय का भुगतान होने का रास्ता साफ हो गया गया है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी, नियुक्ति कोषांग के निदेशक डॉ. आर. के. पी. रमन और कुलसचिव डॉ. कपिलदेव प्रसाद ने मंगलवार को अतिथि शिक्षकों के मानदेय भुगतान से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर अनौपचारिक रूप से विचार-विमर्श किया।

इधर, मंगलवार को ही संघ के सदस्यों ने संघ के अध्यक्ष डॉ सतीश कुमार दास , महासचिव डॉ दीपक कुमार के नेतृत्व में कुलपति, नियुक्ति कोषांग के निदेशक और कुलसचिव से मिलकर उनके प्रति आभार व्यक्त किया।

मौके पर संघ के डॉ. सिकन्दर कुमार, डॉ. अरूण झा, डॉ. रविशंकर कुमार, डॉ. जयन्त ठाकुर, डॉ. धर्मेन्द्र कुमार, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. मनोज ठाकुर, डॉ. निरंजन कुमार निराला, डाॅ. मनोज कुमार, डॉ. पंकज कुमार, डॉ. तेजनारायण यादव, डाॅ. हरित कृष्ण, डॉ. प्रशान्त कुमार मनोज, डॉ. छोटे लाल यादव, डाॅ. अरूण कुमार साह आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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