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प्रधानाचार्य ने किया ध्वजारोहण। गौरवशाली इतिहास से लें प्रेरणा‌ : प्रधानाचार्य 

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प्रधानाचार्य ने किया ध्वजारोहण 

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गौरवशाली इतिहास से लें प्रेरणा‌ : प्रधानाचार्य 

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ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने ध्वजारोहण किया। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय का गौरवशाली इतिहास रहा है। हमें इस गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह महाविद्यालय सभी दिशाओं में प्रगति की ओर अग्रसर है। इसमें सभी शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों के भी सहयोग अपेक्षित हैं।

उन्होंने सभी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों से अपील की कि वे कक्षा संचालन को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। साथ ही महाविद्यालय में होने वाली परिचर्चाओं, सेमिनारों तथा खेलकूद एवं सांस्कृतिक गतिविधियों आदि में भी बढ़-चढ़कर भाग लें।

 

ध्वजारोहण के पूर्व प्रधानाचार्य ने ठाकुर प्रसाद एवं कीर्ति नारायण मंडल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की‌।क्षएनसीसी पदाधिकारी ले. गुड्डु कुमार के नेतृत्व में गार्ड आफ ऑनर दिया गया।

इस अवसर पर साहित्यकार डॉ. भूपेंद्र नारायण मधेपुरी, पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. परमानंद यादव, डॉ. केपी डॉ. राजीव रंजन, डॉ. गजेन्द्र कुमार, डॉ. पंकज कुमार, डॉ. मनोज कुमार मनोरंजन, डॉ. मिथिलेश कुमार आरिमर्दन, डॉ. वीणा कुमारी, डॉ. मनोज कुमार यादव, डॉ. उपेन्द्र प्रसाद यादव, डॉ. सुधांशु शेखर, डॉ. शंकर कुमार मिश्र आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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