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दर्शन परिषद् का 47वां अधिवेशन शुरू। दर्शन है सभी विषयों की जननी : कुलपति

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दर्शन परिषद् का 47वां अधिवेशन शुरू। दर्शन है सभी विषयों की जननी : कुलपति

ज्ञानभूमि नालंदा में तीन दिनों तक देशभर के दार्शनिकों का समागम हो रहा है। रविवार को नालंदा खुला विश्वविद्यालय, नालंदा के तत्वावधान में दर्शन परिषद्, बिहार के त्रिदिवसीय 47वें अधिवेशन का शुभारंभ हुआ। परिषद् की स्थापना के 75वें वर्ष (अमृत महोत्सव) के अवसर पर आयोजित इस अधिवेशन का केंद्रीय विषय ‘अप्प दीपो भव’ है।

अधिवेशन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता आयोजन के संरक्षक सह एनओयू के कुलपति प्रो. रवीन्द्र कुमार ने किया। उन्होंने कहा कि दर्शन सभी विषयों की जननी है। बिहार आदिकाल से ज्ञानभूमि के रूप में जगत विख्यात रहा है।वैदिक काल में इस धरती पर हमारे दर्जनों ऋषि-मुनियों के गुरुकुल रहे हैं। बौद्ध काल में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय की वैश्विक ख्याति रही है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की प्रेरणा से स्थापित नालंदा खुला विश्वविद्यालय के प्रांगण में हो रहा है, जिसकी चिंतनधारा भगवान बुद्ध की मूल देशना (‘अप्प दीपो भव’) है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सदस्य-सचिव प्रो. सच्चिदानंद सिन्हा ने कहा कि आधुनिक विज्ञान जिस दिशा में जा रहा है, वह विनाशकारी है। अतः एआई के इस युग में हमें विज्ञान को दर्शन से जोड़ने की जरूरत है। दर्शन ही विज्ञान एवं धर्म के बीच समन्वय ला सकता है।

विशिष्ट अतिथि आईसीपीआर, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रमेशचन्द्र सिन्हा ने कहा कि बुद्ध ने भारतीय सभ्यता-संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका दर्शन आज भी प्रासंगिक है।

सम्मानित अतिथि महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ला ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) हमारे लिए अवसर लेकर नहीं आया है, बल्कि यह मानवता के समक्ष एक गंभीर चुनौती है। यह आधुनिक तकनीक मनुष्य को यांत्रिकता की ओर ढकेल रहा है और हमें गुलाम बना रहा है। ऐसे समय में स्वबोध एवं आत्मबोध जगाने वाले दर्शन की जरूरत है।

मुख्य वक्तव्य अधिवेशन के सामान्य अध्यक्ष पटना विश्वविद्यालय, पटना में दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. आर. एस. आर्या ने कहा कि दर्शन को वैज्ञानिक बनाने की जरूरत है।

अतिथियों का स्वागत करते हुए परिषद् की अध्यक्षा प्रो. पूनम सिंह ने कहा कि दर्शन परिषद् का गौरवशाली इतिहास है। इसके संस्थापक प्रो. डी. एम. दत्त एक संत दार्शनिक थे।

परिषद् के महासचिव प्रो. श्यामल किशोर ने बताया कि परिषद की गतिविधियां बढ़ी हैं और इसने देश में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। इसके अधिवेशन नियमित रूप से हो रहा है।

अतिथियों का स्वागत संयोजक सह कुलसचिव प्रो. अभय कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव सह डी. के. कॉलेज, डुमराव की प्रधानाचार्य प्रो. वीणा कुमारी ने किया। संचालन डॉ. चितरंजन एवं डॉ. तुलिका सिंह ने संयुक्त रूप से किया।

*लोकार्पण समारोह आयोजित*

उद्घाटन समारोह में अधिवेशन की स्मारिका, परिषद् की शोध-पत्रिका ‘दार्शनिक अनुगूंज’ और कई पुस्तकों का लोकार्पण किया जाएगा। इसमें 92 वर्ष के दार्शनिक प्रो. आर. पी. शर्मा की पुस्तक कश्यप का जीवन और दर्शन, प्रो. श्यामल किशोर एवं प्रो. नागेन्द्र मिश्र की पुस्तक भारतीय दर्शन एवं भारतीय नीति शास्त्र, ग्लोबल इथिक्स एंड मोरलिटी (डॉ. प्रत्यक्षा राज), गांधी दर्शन में नारी सशक्तिकरण (डॉ. रेशमा सुल्ताना) के नाम शामिल हैं।

*तीन पुरस्कार घोषित*

इस अवसर पर तीन पुरस्कारों की घोषणा की गई। इस वर्ष का जीवन उपलब्धि पुरस्कार एलएनएमयू, दरभंगा के प्रो. सुनीलचंद्र मिश्र को दिया गया। साथ ही दो उत्कृष्ट पुस्तकों को भी पुरस्कृत किया गया। इनमें द अनसीन कलकी (विनय कुमार पांडेय) तथा दर्शन : एक परिचय (प्रो. आर. पी. श्रीवास्तव एवं डॉ. पयोली)।

इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत विधिवत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। अतिथियों को अंगवस्त्रम्, पौधा, स्मृति चिह्न एवं गौतम बुद्ध की तस्वीर भेंटकर सम्मानित किया गया। स्वागत गान एवं कुलगीत की प्रस्तुति हुई। उद्घाटन सत्र का समापन राष्ट्रगान जन-गण-मन के सामूहिक गायन के साथ हुई।

इस अधिवेशन में बिहार के सभी विश्वविद्यालयों सहित झारखंड , उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, नई दिल्ली, हिमाचल प्रदेश से भी चार सौ से अधिक शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी भाग लेंगे। इनमें प्रो. किस्मत कुमार सिंह (आरा), प्रो. पूर्णेन्दु शेखर (भागलपुर), प्रो. अवधेश कुमार सिंह (बेगूसराय), प्रो. महेश्वर मिश्र (मुंगेर) डॉ. विजय कुमार (मुजफ्फरपुर), डॉ. सुधांशु शेखर (मधेपुरा) सहित कई गणमान्य लोगों के नाम शामिल हैं।

*आठ व्याख्यान आयोजित*

अधिवेशन के प्रथम दिन उद्घाटन सत्र के बाद दो सत्रों में आठ व्याख्यान आयोजित किए गए। प्रथम व्याख्यान सत्र की अध्यक्षता प्रो. रमेशचन्द्र सिन्हा एवं समन्वयन प्रो. नगेन्द्र मिश्र ने की। इसमें प्रो. नीलिमा सिन्हा (मुन्द्रिका सिंह स्मृति व्याख्यान), प्रो. राजीव कुमार (श्रीप्रकाश दुबे स्मृति व्याख्यान), प्रो. रजनीश कुमार शुक्ला (बशिष्ठ नारायण सिन्हा स्मृति व्याख्यान) एवं प्रो. एन. पी. तिवारी (प्रो. सोहनराज लक्ष्मी देवी तातेड़ व्याख्यान) ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

दूसरे व्याख्यान सत्र की अध्यक्षता प्रो. राजकुमारी सिन्हा एवं समन्वयन डॉ. संजय कुमार सिंह ने की। इसमें प्रो. महेश सिंह (सिया देवी माधवपुर खगड़िया व्याख्यान), प्रो. ऋषिकांत पांडेय (बेनी विश्व बाबूधन स्मृति व्याख्यान), डॉ. शैलेन्द्र कुमार (डॉ. राम नारायण शर्मा बुजुर्ग व्याख्यान) एवं प्रो. कुसुम कुमारी (सत्यार्थी बहन स्मृति व्याख्यान) ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

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