BNMU : कोरोना का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव विषयक सेमिनार का आयोजन

भारतीय दर्शन में दो प्रकार के अशुभ माने गए हैं-प्राकृतिक अशुभ और नैतिक अशुभ। प्राकृतिक अशुभ के कारण नैतिक अशुभ भी आता है। कोरोना संक्रमण हमें शारीरिक एवं मानसिक दोनों रूपों में अपंग बना रहा है। यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रोफेसर डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने कही। वे शुक्रवार को कोरोना का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव विषयक सेमिनार में उद्घाटनकर्ता के रूप में बोल रहे थे।कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा और दर्शन परिषद्, बिहार के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

कुलपति ने कहा कि हमें कोरोना काल में मन को मजबूत करना है। मन के हारे हार है, मन के जीते जीते। कार्यक्रम के संंयुक्त उद्घाटनकर्ता दर्शन परिषद्, बिहार के अध्यक्ष डाॅ. बी. एन. ओझा ने कहा कि कोरोना एक अदृश्य दुश्मन है। इसने हमारी जिंदगी को बदल कर रख दिया है। इसने दुनिया की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है। उन्होंने कहा कि मन एवं शरीर का अटूट संबंध है। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करता है।

मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए सिंहानिया विश्वविद्यालय, जोधपुर के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डाॅ. सोहनराज तातेड़ ने कहा कि हमें अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना है। हमारा शरीर एवं मन मजबूत होगा, तो कोरोना स्वतः भाग जाएगा। उन्होंने कहा कि शरीर मन से संचालित होता है। मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाने में योग एवं प्राणायाम की महती भूमिका है। हमें घबड़ाना नहीं है। सावधान रहना है। मुख्य  वक्ता के रूप में बोलते हुए हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर-गढ़वाल (उत्तराखंड) में दर्शनशास्त्र विभाग की अध्यक्ष डॉ. इंदू पांडेय खंडूड़ी ने कहा कि भारतीय दर्शन के अनुसार मनुष्य का ज्ञान, व्यवहार एवं भावना तीनों स्तर पर संतुलन ही स्वास्थ्य है। मानसिक स्वास्थ्य पर शारीरिक स्वास्थ्य का भी प्रभाव पड़ता है। मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव व्यक्ति की दिनचर्या, उसके संबंध और उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ना निश्चित है। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति के मन की उत्तम अवस्था है। इसमें वह अपनी क्षमताओं को समझता है और अपने उद्देश्य हेतु उसका प्रयोग कर सकता है। जीवन के सामान्य दबाव एवं तनाव को अच्छे से संभाल सकता है। वह सकारात्मकता एवं उत्पादकता हेतु कार्य कर सकता है। वह अपने घर परिवार समुदाय और राष्ट्र के लिए अपना योगदान कर सकता है।

उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन में पंचकोश की अवधारणा है। ये हैं अन्यमय कोष, प्राणाय कोष, मनोमय कोष, विज्ञानमय कोष एवं आनंदमय कोष। इनमें प्रथम तीन कोष मानव व्यक्तित्व एवं मानसिक स्थितियों से संबंधित हैं और बाद के दो बौद्धिक एवं आध्यात्मिक क्षमता से संबंधित हैं। इन पांचों कोषों के केंद्र में मनोमय कोष है।

उन्होंने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य भी मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। ऐसा नहीं है कि हम मन के द्वारा शरीर के कष्ट को दूर कर सकता हैं, लेकिन शरीर कष्ट की अनुभूति पर नियंत्रण अवश्य किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन में मानसिक स्वास्थ्य के लिए तीन शर्तें बताई गई हैं। ये हैं विवेकशीलता यानि सम्यक् विवेक, चित्त की स्थिरता और स्थितप्रज्ञा यानि बुद्धि की स्थिरता। यदि आपमें ये तीनों हैं, तो आप मानसिक रूप से स्वस्थ हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण समाज में भय, भूख एवं भ्रम का वातावरण है। हमारे मानसिक रूप से विचलित हुआ है और हमारे अंदर असुरक्षाबोध बढ़ा है। सामाजिक मेल-मिलाप की संस्कृति खत्म हो रही है। व्यवहार असंतुलित हो गया है। रोजगार के अवसर कम हो गए हैं। काम करने के विकल्प काफी कम हो गए हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन निराशावादी एवं पलायनवादी नहीं है। इससे हम न केवल आध्यात्मिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि व्यावहारिक जीवन एवं जगत को भी स्वस्थ एवं सुंदर बना सकते हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन में सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति के उपाय बताए गए हैं। भारतीय दर्शन में निहित मूल्यों को अपनाकर हम स्वयं भी दुखों से मुक्त हो सकते हैं और समाज को भी दुखों से मुक्ति दिला सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हमें मानसिक स्वास्थ्य के लिए हमें अपने मन को नकारात्मकता से हटाकर सकारात्मकता की ओर ढकेलना होगा। हम सकारात्मक सोचें। समाजहित में लोककल्याण के लिए कार्य करें। अपने संसाधनों से दूसरों की मदद करें। मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर की प्रति कुलपति प्रो. (डॉ.) कुसुम कुमारी ने कहा कि कोरोना से पूरी दुनिया डरी हुई है। लेकिन हमें निराश नहीं होना है। बुद्ध ने कहा है कि दुख है, दुख का कारण है, दुख का निवारण है और दुख-निवारण के मार्ग भी हैं। कोरोना से मुक्ति का भी मार्ग अवश्य निकलेगा। स्कॉटिश चर्च महाविद्यालय, कोलकाता, (प. बंगाल) में हिंदी विभाग की अध्यक्ष डाॅ. गीता दूबे ने कहा कि पहला सुख निरोगी काया और दूजा सुख घर में हो माया। कोरोना और लाॅकडाउन के कारण काया एवं माया, दोनों पर कुप्रभाव पड़ा। इस दौरान मीडिया ने हमें जितना आगाह नहीं किया, उससे ज्यादा दहशत फैलाया।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने लाॅकडाउन के नियमों का अतिशय पालन किया और कुछ लोग इसे पूरी थरह तोड़ते रहे। यह दोनों अतिवाद है। हमें दोनों अतिवादों से बचना चाहिए।बीएनएमयू, मधेपुरा की मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) उषा सिन्हा ने कहा कि हम अपने आपको मानसिक रूप से मजबूत करें। मन में जड़ जमाए हुए डर, चिंता, तनाव, अवसाद से मन को मुक्त करें। परिजनों एवं मित्रों से संबंध बनाकर रखें। बीएनमुस्टा, मधेपुरा के महासचिव प्रो. (डाॅ.) नरेश कुमार ने कहा कि कोरोना काल में पूरी व्यवस्था उलट गई है। आदमी आदमी से दूर होता चला जा रहा है और समाज से कट रहा है। हमें खुद भी कोरोना से बचना है और दूसरों को भी बचाना है। एक-दूसरे को मानसिक संबल दें।कार्यक्रम के दौरान एक पैनल डिस्कशन आयोजित किया गया है। इसमें डाॅ. जयमंगल देव (पटना), अमृत कुमार झा (दरभंगा), निधि सिंह (पटना), डाॅ. बरखा अग्रवाल (पटना) एवं डाॅ. अनिश अहमद आमंत्रित मेहमान होंगे। परिचर्चा का संयोजन अकादमिक निदेशक डाॅ. एम. आई. रहमान ने किया। इस अवसर प्रो. ( डॉ.) के. के. साहू, वनस्पति विज्ञान विभाग, एलएनएमयू, दरभंगा, प्रो. (डॉ.) सोहनराज तातेड़, पूर्व कुलपति सिंघानिया विश्वविद्यालय, जोधपुर, राजस्थान, प्रो. (डॉ.) नरेन्द्र श्रीवास्तव, जंतु विज्ञान विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा, डाॅ. विजय कुमार, अध्यक्ष, गाँधी विचार विभाग, टीएमबीयू, भागलपुर, डाॅ. जवाहर पासवान, सिंडीकेट सदस्य, बीएनएमयू, मधेपुरा, डाॅ. शेफालिका शेखर, हिंदी विभाग, बीएनएमभी काॅलेज, मधेपुरा आदि का भी व्याख्यान हुआ।प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव ने स्वागत भाषण दिया। जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर और एमएलटी काॅलेज, सहरसा के डाॅ. आनंद मोहन झा ने कार्यक्रम का संचालन किया। धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. अभय कुमार, समन्वयक, एनएसएस, मधेपुरा ने किया। इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के संस्थापक कीर्ति नारायण मंडल के चित्र पर पुष्पांजलि के साथ हुई। खुशबू शुक्ला ने वंदना प्रस्तुत किया। शशिप्रभा जायसवाल, कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रांगण रंगमंच, मधेपुरा ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। सिंहेश्वर की तनुजा ने भी एक गीत प्रस्तुत किया। अंत में डाॅ. राहुल मनहर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एलएनएमयू, दरभंगा द्वारा गिटार वादन के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

इस अवसर पर एमएड विभागाध्यक्ष डॉ. बुद्धप्रिय, डाॅ. संजय कुमार परमार, डाॅ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, डाॅ. बी. एन. यादव, डाॅ. उदयकृष्ण, डाॅ. स्वर्णमणि, रंजन यादव, सारंग तनय, माधव कुमार, सौरभ कुमार चौहान, गौरब कुमार सिंह, अमरेश कुमार अमर, डेविड यादव, बिमल कुमार आदि उपस्थित थे।

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