कविता/वर्तमान में जीना/अंजलि आहूजा

वर्तमान में जीना है
जाने कल क्या तोहफ़ा लाए
कल ने कुछ छीना है
आज से संघर्ष हो ही जाए
हार मानकर कब कोई जीता है
अपने हो संबल जिसका
वही सँभल कर आगे बढता है।

अंजलि आहूजा ने अध्यापन कार्य से शिक्षा क्षेत्र में क़दम रखा। दिल्ली एवं गुड़गॉव के कई शिक्षा संस्थानों में शिक्षण कार्य करते हुए प्रिंसिपल के पद पर सेवारत रहीं। NET, B. Ed. योग्यता प्राप्त करने के साथ विधि विज्ञान (Forensic Science) की परा स्नातक शिक्षा प्राप्त की है।
कैरियर काउंसिलंग, सॉफ़्ट स्किल ट्रेनिंग, टीचर ट्रेनिंग के साथ साथ वह प्रोफ़ेशनल ट्रेनिंग फ़ॉर एडवॉसमेंट के मॉड्यूल का भी सफलतापूर्वक संचालन करती रहीं हैं। लेखन की तरफ़ उनका रूझान कलात्मक अभिरुचि को इंगित करता है जो अंतरतम की अभिव्यक्ति है।