मैं कोरोना बोल रहा हूँ।
हाँ वही जिसकी परवरिश हुई चीन के वुहान में। मैं अब अपना घर बना रहा हूँ पूरी दुनिया में। मैं वही कोरोना हूँ जिसने ले लिया है लाखों लोगों को अपनी आगोश में।
और धीरे-धीरे अंजाम दे रहा हूँ नए-नए कारनामे।
मैं लोगों से छीन रहा हूं उनके काम लील रहा हूँ उनके अपनों की जिंदगी। मैं कोरोना बोल रहा हूँ। मैं हूँ मौत का सौदागर। पूरी दुनिया को गुलाम बनाकर मैं करना चाहता हूँ फतह। मुझे मारने की कोशिश कर रही है पूरी दुनिया पर मैं हर पल उन्हें मात दे रहा हूँ।
हाँ मैं कोरोना बोल रहा हूं। मोदी से लेकर ट्रंप की लबों पर मेरा ही है नाम। मैंने ठप कर दिया है दुनिया के हर काम मेरा खौफ लोगों में बढ़ रहा है बेशुमार। मैं कोरोना बोल रहा हूँ। मैं बढ़ा रहा हूँ अपनी रफ्तार।
– सौम्या स्नेहा
बी एस सी (केमिस्ट्री ऑनर्स)
रमेश झा महिला कॉलेज, सहरसा, बिहार