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ऑनलाइन एडूकेशन : बड़ी कठिन है डगर पनघट की…..

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आसान नहीं है ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई
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कोरोना ने शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को घरों मे कैद होने को विवश कर दिया है। ऐसे में एक मात्र ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली ही उपलब्ध थी। पहली कक्षा से लेकर स्नातकोत्तर तक की और सारे तकनीकी एवं गैरतकनीकी विषयों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और है।

यह बात अखिल भारतीय शांति प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सृष्टि रक्षा चैनल के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर बिंदु भूषण दुबे ने कही।

वे बुधवार को बीएनएमयू संवाद व्याख्यानमाला में ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली : लाभ एवं हानि विषयक व्याख्यान दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण तमाम संस्थानों को बंद करने का आदेश आया। इसके बाद देश में संस्थानों ने ऑनलाइन प्रणाली से काम करना शुरु किया।

उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों ने भी ऑनलाइन प्रणाली को अपनाने का निर्णय लिया। इससे पठन-पाठन सुचारू रूप से चलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन वास्तव में हमारा देश ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली के लिए तैयार नहीं है। हमारे देश में ऑनलाइन शिक्षा से सम्बंधित प्रर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि शहरी छेत्र में रहने वालों विद्यार्थियों को सुविधाएं उपलब्ध हैं। लेकिन ग्रामीण छेत्र के विद्यार्थीयो ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हैं। यहां स्मार्ट मोबाइल फ़ोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप एवं इंटरनेट सुविधाओं का घोर अभाव है।

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पठन-पाठन शिक्षकों एवं विद्यार्थियों दोनों के लिए एक नया अनुभव है। दोनों वर्ग आधारभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। भारत में कुल 30-32 करोड़ विद्यार्थियों हैं। इनमे केवल 25 से 30% बच्चे ही लाभान्वित हो रहे हैं।

उन्होंने मोबाइल एवं कंप्यूटर पर ज्यादा देर काम करने से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 3 फुट से कम दूरी पर से लगातार मोबाइल एवं कंप्यूटर स्क्रीन देखने से स्वस्थ पर प्रतीकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए अपनी आंखों को सुरक्षित रखने के लिए आँखों को ब्रेक दें और व्यायाम करें। चाइनीज मोबाइल, जो सस्ते दरों पर बाजार में उपलब्ध हैं, उनसे ज्यादा रेडिएशन निकलता है। इसीलिए उनके प्रयोग से बचें।

उन्होंने कहा कि हम अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में स्वयं भी अपनी भूमिका सुनिश्चित करें। पास-पड़ोस के बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए आफलाइन मोड में पढ़ाएं। उन्हें खुद को स्वस्थ रखने के लिए भी प्रेरित करें।

उन्होंने कहा कि भारत मे अगर कोरोना महामारी के कारण स्थितियां नहीं सुधरती हैं, तो ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली से जुड़े पहलुओं पर व्यापक विचार-विमर्श करने की आवश्यकता होगी। सरकार की जिम्मेदारी होगी कि आधारभूत संरचनाओं को सुदृढ़ कर व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाए।

संक्षिप्त परिचय

श्री बिंदु भूषण दूबे वनों के प्रदेश और रत्नगर्भा प्रदेश के नाम से प्रसिद्ध राज्य झारखण्ड के निवासी हैं। प्रकृति की सुरक्षा और पर्यावरण को शुद्ध और पवित्र बनाने के लिये कृतसंकल्प है श्री दूबे। स्वछ भारत, स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत और समर्थ भारत के उद्देश्य को पूरा करने हेतु दिन- रात कार्यरत है और वर्तमान समय मे पाँचवे महाकुंभ के आयोजन में जुटे हुए है। उनका संकल्प है कि भागलपुर स्थित पुरातन विक्रमशिला विश्विद्यालय के प्रांगण में माँ गंगा के तट पर पांचवे महाकुम्भ का आयोजन हो जिसमें ग्लोबल वार्मिग और क्लाइमेट चेंज जैसे विषयों पर 200 से भी ज्यादा देशों से आए विद्वानों की चर्चा हेतु सहभागिता हो।

उपलब्धियां
1 राष्ट्रीय कम्पैनर स्वच्छ भारत अभियान जिसका सुभारम्भ भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कर कमलों द्वारा हुआ

2. देश भर में 700 से ज्यादा कार्यक्रम का आयोजन प्रकृति सुरक्षा सम्बंधित विषयों पर

3. भारत के सीमावर्ती देशों में भी कार्यक्रम का आयोजन और व्याख्यान

4. यूनाइटेड किंगडम, लंदन में भी कार्यक्रम का आयोजन

5. विभिन्न कार्यक्रमों में विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्विद्यालयों के 10 लाख भी ज्यादा विद्यार्थियों के बीच व्याख्यान

6. प्रकृति संरक्षण कम्पैन की शुरुआत यूनाइटेड किंगडम, लन्दन से

7. लंदन में आयोजित सेव मदर अर्थ के विशेष सलाहकार

8. लंदन में इंस्पायरिंग वीमेन ऑफ इंडिया संस्थान के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में गेस्ट ऑफ हॉनर के रूप में उपस्थिति कैडममिम की मेयर श्रीमती मरियम इस्लामडस्ट के साथ

9. अनसंग हीरो पुरस्कार प्रसिद्ध संस्था ग्रामलय द्वारा

10. ब्रांड अम्बेसडर ग्रामलय

11. वैश्विक महामारी कोरोना में लोगों की सहायता और ज्ञानवर्धन हेतु सृष्टि रक्षा चैनल का आरंभ

12. ऑक्सफ़ोर्ड सेंटर फॉर हिन्दू स्टडीज में व्यख्यान क्लीन गंगा मिशन और क्लाइमेट चेंज विषय पर

13. नेपाल यात्रा में वहाँ के प्रधानमंत्री और 6 से भी ज्यादा पूर्व प्रधानमंत्रीयो से बातचीत पयार्वरण सुरक्षा विषय पर।

कोरोना काल में श्री दूबे ने 100 से भी ज्यादा व्याख्यानों के माध्यम से लोगों को जागरूक कर उन्हें कोरोना काल मे आ रही दिक्कतों का सामना करने के लिए प्रेरित किया है। डिसिप्लिन, डेडिकेशन, डिटरमिनेशन और डिवोशन की उन्होनो चार मन्त्र के रूप व्यख्या की है जिनका पालन करके परेशानियों से बचा जा सकता है। श्री दुबे ने सस्टेनेबल लिविंग के लिए पांच तत्वों की बात की है जिसमे जीव, जगत, जल, जंगल, और जमीन शामिल हैं।

संप्रति- राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय शांति प्रतिष्ठान चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, सृष्टि रक्षा चैनल

रिपोर्ट- डेविड यादव, मधेपुरा

 

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