आर एम कॉलेज सहरसा की प्राध्यापिका कुमारी अपर्णा द्वारा अनुवादित पुस्तक का हुआ लोकार्पण
समर्पित होकर लेखन कार्य को आगे बढ़ाएं शिक्षक:गुलरेज रौशन रहमान
जगदीश प्रसाद मंडल की मैथिली पुस्तक लहसन का कुमारी अपर्णा ने किया हिंदी में अनुवाद
लेखन की सृजनात्मकता ही असली शिक्षक की पहचान होती है
फोटो सहरसा के एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में पुस्तक का लोकार्पण करते अतिथि
सहरसा।
बीएनएमयू के अंतर्गत राजेंद्र मिश्र कॉलेज में हिन्दी की प्राध्यापिका डॉ. कुमारी अपर्णा द्वारा अनुवादित पुस्तक लहसन का लोकार्पण किया गया। शहर के एक होटल में आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में विभिन्न क्षेत्रों के विद्वान शिक्षकों ने संयुक्त रूप से अनुवादित पुस्तक लहसन का लोकार्पण किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते आर एम कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. गुलरेज रौशन रहमान ने कहा कि कॉलेज की सबसे कम उम्र की डॉ. कुमारी अपर्णा ने कम समय में ही मैथिली भाषा में लिखित पुस्तक का हिंदी अनुवाद कर अपनी लेखन की क्षमता को दिखाया है। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ कॉलेज के लिए बल्कि संपूर्ण विश्वविद्यालय और कोशी मिथिलांचल के लिए गौरव की बात है। प्रो. रहमान ने शिक्षकों से अपनी रचनात्मकता को अनवरत जरी रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमें सिर्फ वेतनभोगी शिक्षक बनकर नहीं रहना है बल्कि अपनी लेखनी से समाज को नई दिशा देने में अपनी भागीदारी निभाए। प्रधानाचार्य प्रो. रहमान ने कहा कि जगदीश प्रसाद मंडल द्वारा मैथिली में लिखित पुस्तक लहसन का अपर्णा द्वारा हिंदी में अनुवाद करना दूसरों के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में मजदूरों के पलायन के यथार्थ का चित्रण किया गया है। उन्होंने कहा कि स्त्री के आंचल में जो मातृत्व का भाव होता है वह हमें अपनी जिम्मेदारियों का बोध कराता है। उन्होंने कहा कि अपनी रचनात्मकता बनाए रखने के लिए अपने अंदर के गुण को बाहर निकाल कर उसे कलमबद्ध करें। यह निरंतर करने से निखर आती है। रचनात्मकता ही लोगों को लंबे समय तक याद रहती है। समारोह का संचालन डॉ. शुभ्रा पांडे और डॉ. पिंकी कुमारी ने संयुक्त रूप से किया।
कोशी और मिथिलांचल में समृद्ध साहित्य की कमी नहीं: प्रो. मनोज पराशर
पुस्तक लोकार्पण के विशिष्ट अतिथि पूर्णिया विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज पराशर ने कहा कि मिथिलांचल और कोशी में जो ऊर्जा, उर्वरता रचनात्मकता है इससे यहां का साहित्य काफी समृद्ध होता है। उन्होंने मैथिली की पुस्तक लहसन का हिंदी में अनुवाद कर पाठकों के बीच उपलब्ध करने के लिए कुमारी अपर्णा को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मैथिली से हिंदी में रूपांतरण यहां के हिंदी शिक्षकों का दायित्व है। इससे दोनों साहित्य और समृद्ध होगी। उन्होंने कहा कि अर्पणा की रचनाशीलता निशित रूप से साहित्य को आगे बढ़ने में सहयोग करेगा।
पुस्तक लेखन से मिलती है प्रेरणा: प्रो. ललित नारायण मिश्र
पुस्तक लोकार्पण समारोह में पूर्व प्रधानाचार्य प्रो. ललित नारायण मिश्र ने कहा कि कुमारी अपर्णा की अनुवादित पुस्तक हम सबों को प्रेरणा देगी। उन्होंने कहा कि पुस्तक में पलायन की पीड़ा को दिखाया गया है जो यहां की सच्चाई है।
बीएनएमयू के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद मोहन जयसवाल ने कहा कि पुस्तक लेखन, अनुवाद, समीक्षा शिक्षक के जीवन का अभिन्न अंग होता है। हमें इस कार्य को तल्लीनता के साथ करते रहना चाहिए। जिससे छात्रों और समाज के बीच हमारी लोकप्रियता बढ़े। उन्होंने कहा कि अनुवाद की प्रक्रिया आसान काम नहीं होता है। पुस्तक के मूल भाव उसकी संवेदनाओं को कलमबद्ध करना कुशल शिक्षक ही कर सकते हैं। मौके पर डॉ. अरुण कुमार झा, डॉ. उर्मिला अरोड़ा, डॉ. राजीव कुमार झा, डॉ कविता कुमारी, डॉ. अमिष कुमार, डॉ. प्रतिभा कपाही, डॉ. संजय कुमार, डॉ. संजय परमार, डॉ. मंसूर आलम, डॉ. रामानंद रमण, डॉ नागेन्द्र राय, डॉ सुरेश प्रियदर्शी, बबलू कुमार, हर्षिता, रेयांश रितिक, अभिजीत कुमार, उमेश मंडल, नंद किशोर सहित अन्य मौजूद थे।