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अभाविप कार्यालय में नगर अध्यक्ष ने किया ध्वजारोहण। स्वतंत्रता की रक्षा के लिए रहें हमेशा जागरूक 

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अभाविप कार्यालय में नगर अध्यक्ष ने किया ध्वजारोहण 

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स्वतंत्रता की रक्षा के लिए रहें हमेशा जागरूक 

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78वें स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (#अभाविप) के नगर कार्यालय में नगर अध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने ध्वजारोहण किया। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में समाज के सभी वर्गों और खासकर युवाओं ने महती भूमिका निभाई। इसकी रक्षा की प्रमुख जिम्मेदारी भी युवाओं पर ही है। अतः सभी नागरिकों और खासकर युवाओं को स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमेशा जागरूक रहने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारतीय राष्ट्रीयता को केंद्र में रखकर अभाविप का गठन किया गया। हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। हम हमेशा राष्ट्रहित के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने को तत्पर रहते हैं। हमारे कार्यकर्ता संकट की घड़ी में स्वयंसेवक के रूप में भी कार्य करते रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज हमारा राष्ट्र कई तरह के आंतरिक एवं बाह्य खतरों से जुझ रहा है। ऐसे में युवाओं को राष्ट्रीय विचारधारा से जोड़ने की महती आवश्यकता है।

उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे ज्ञान, शील एवं एकता के मूल्यों को अपने जीवन में आत्मसात करें। अपने कैरियर पर ध्यान देते हुए समाज एवं राष्ट्र के विकास में योगदान दें। वर्ष 2027 तक विकसित भारत बनाने के संकल्प को पूरा करने में अपनी रचनात्मक भूमिका निभाएं।

इस अवसर पर प्रदेश मंत्री अभिषेक यादव, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सह सीनेटर डॉ. रंजन यादव, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमोद आनंद, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य नीतीश सिंह यादव, विभाग संयोजक सौरभ यादव, जिला संयोजक नवनीत सम्राट, नगर मंत्री अंकित आनंद, मनीष कुमार, नगर सह मंत्री अंशु राज, रवि रंजन, सत्यम कुमार, डॉ. सौरव कुमार, विवेक कुमार, ललित कुमार, संजीव कुमार उर्फ सोनू, रोहित कुमार, दर्शनशास्त्र विभाग के शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, जंतु विज्ञान के शोधार्थी आनंद कुमार भूषण आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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