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विजयोत्सव दिवस पर याद किए गए वीर कुंवर सिंह।

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*बाबू वीर कुंवर सिंह का विजयोत्सव दिवस मना*

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ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में बुधवार को बाबू वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव दिवस मनाया गया।

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि बाबू वीर कुंवर सिंह प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (1857) के एक प्रमुख नायक थे। इस 80 साल के रणबांकुरे की वीर-गाथा आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है।

 

उन्होंने बताया कि एक बार वीर कुंवर की बांह में अंग्रेजों की गोली आकर लगी, तब भी वो रूके नहीं। उन्होंने अपनी तलवार से बांह को काटकर नदी में प्रवाहित कर दिया।

*राष्ट्र-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका*

कार्यक्रम का संचालन करते हुए दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि कुंवर सिंह अंग्रेजी सेना को पराजित करके 23 अप्रैल, 1858 को अपने गांव जगदीशपुर (आरा) के महल में वापस आए। उन्होंने जगदीशपुर के अपने किले पर फतह पाई थी और ब्रिटिश झंडे को उतारकर अपना झंडा फहराया था। यही वजह है कि 23 अप्रैल का दिन उनके विजयोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

उन्होंने कहा कि वीर कुंवर किसी जाति विशेष नहीं, बल्कि पूरे समाज एवं राष्ट्र के लिए अपना बलिदान दिया। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को एकजुट करके राष्ट्रीय-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

*प्रेरणा ग्रहण करने की जरूरत*

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए गणित विभागाध्यक्ष ले. गुड्डु कुमार ने कहा कि वीर कुंवर सिंह सच्चे राष्ट्रवादी थे। हमें उनके जीवन से प्रेरणा ग्रहण करने की जरूरत है।

इस अवसर पर असिस्टेंट प्रोफेसर संजीव कुमार सुमन, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, प्रधान सहायक नारायण ठाकुर, खुशबू कुमारी, पल्लवी कुमारी, लक्ष्मी कुमारी, गुड़िया कुमारी, महेश कुमार, टुकटुक, परी, शिवम राज, मनीष कुमार, चंदन कुमार, अरविंद कुमार, संजीव कुमार, सुमन सौरभ कुमार चौहान सुनील कुमार, सुनील कुमार, रंजीत कुमार आदि उपस्थित थे।

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