TMBU। पूर्व कुलपति रामाश्रय यादव से मुलाकात / जयंत जिज्ञासू। Bhagalpur, Bihar

बेहद ईमानदार शख्सियत, अंग्रेजी साहित्य के प्रकांड विद्वान व राबडी जी के कार्यकाल में भागलपुर विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति रहे रामाश्रय यादव जी से आखिरकार भेंट हो गई। क्या ग़ज़ब की ऊर्जा, क्या ही सुंदर विज़न, अव्वल दर्जे के अकैडमिक, डाउन टू अर्थ पर्सनैलिटी! तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय को बडी जतन से सँवारने में, उसका सत्र नियमित करने में इनका बडा योगदान रहा। बतौर चेयरमैन, बीपीएससी भी इन्होंने हर नियुक्ति में बडी पारदर्शिता बरती। बताते हैं कि लालू जी का कभी कोई हस्तक्षेप नहीं होता था इनके कामकाज में। बल्कि रामाश्रय बाबू की काबिलियत व सूझबूझ पर वे बहुत भरोसा करते थे, और कई ज़रूरी मशवरा करते थे। इनके नेतृत्व में ही पहली बार 1994 में बीपीएससी ने 25000 स्कूली शिक्षकों की नियुक्ति परीक्षा लेकर की। राज्य स्तरीय प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षाओं में सारा बैकलॉग भरा। अफसरों की प्रोन्नति का काम विवेकपूर्ण तरीके से निबटाया। अफ़सोस कि बाद के दिनों में रामाश्रय बाबू की योग्यता व क्षमता का सदुपयोग बिहार के विश्वविद्यालयों की दशा व शैक्षणिक वातावरण ठीक करने एवं शोध के अनुकूल माहौल बनाने हेतु नहीं किया जा सका। उम्मीद कि आने वाले दिनों में इनकी काबिलियत का उपयोग राज्यहित में किया जा सकेगा।

मेरे शिक्षक दत्ता साहब और मसऊद साहब इनके विराट व्यक्तित्व के बारे में बताते अघाते नहीं हैं। मुझे संतोष मिला कि सर से बहुत अर्थपूर्ण बातें हुईं, जैनेंद्र जी की हर जिज्ञासा को इन्होंने सराहा। इनके सान्निध्य में हमें गंगास्नान-सा सुख मिला। रामाश्रय बाबू, शताधिक वर्षों की सुदीर्घ सक्रिय जिंदगी जियें, निरंतर अध्ययनशीलता की प्रकृति बनी रहे, यही सद्कामना है! मैम का स्नेह याद रहेगा, उनकी संजीदा बातें प्रेरित करती रहेंगी। दोनों का साथ हमेशा बना रहे, दुआ करता हूँ।

आने वाली नस्लें तुम पर फ़ख़्र करेंगी हम-असरो
जब भी उन को ध्यान आएगा तुम ने ‘फ़िराक़’ को देखा है।

शुक्रिया, अमित, अरविंद भाई, सृजन & रमेश भाई!

-जयंत जिज्ञासू