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Bhumandalikaran aur Stri-Mukti भूमंडलीकरण और स्त्री-मुक्ति
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Bhumandalikaran aur Stri-Mukti भूमंडलीकरण और स्त्री-मुक्ति

6. भूमंडलीकरण और स्त्री-मुक्ति भूमंडलीकरण के पैरोकारों ने स्त्राी-मुक्ति को देह-मुक्ति तक सीमित कर दिया है। इस तरह उनके द्वारा मनाया जा रहा स्त्राी-मुक्ति-उत्सव महज छलावा भर है। वास्तव में, भूमंडलीकरण की पूरी प्रक्रिया मुट्ठीभर पूँजीपतियों के हितों का संरक्षण करती है और इसमें स्त्राी सहित किसी भी वंचित वर्ग के लिए केाई ‘पाॅजेटिव स्पेस’ नहीं है। इसके लिए दुनिया की सारी प्राकृतिक संपदाएँ, मनुष्य एवं मनुष्येतर प्राणि सभी महज एक ‘बिकाऊ माल’ है और जाहिर है कि स्त्राी की हैसियत भी उससे अधिक नहीं है। ऐसे में भूमंडलीकरण के सहारे स्त्राी-मुक्ति की बात कैसे हो सकती है? इसके पैरोकारों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में स्त्रिायों की भागीदारी बढ़ने का प्रचार भी अतिश्योक्ति पूर्ण है। आज भी स्त्रिायों को समुचित रोजगार एवं स्वाभिमानपूर्वक जीने का अधिकार नहीं मिल पाया है। खासकर भारत की स्थिति तो और भी चिंताजन...