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Premchand शतरंज के खिलाड़ी ” कहानी के प्रकाशन के 100 साल  ——————————–  शतरंज के खिलाड़ी और कफ़न : प्रेमचंद की दो कहानियां 
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Premchand शतरंज के खिलाड़ी ” कहानी के प्रकाशन के 100 साल ——————————– शतरंज के खिलाड़ी और कफ़न : प्रेमचंद की दो कहानियां 

"शतरंज के खिलाड़ी " कहानी के प्रकाशन के 100 साल -------------------------------- शतरंज के खिलाड़ी और कफ़न : प्रेमचंद की दो कहानियां  प्रेमकुमार मणि, पटना    प्रेमचंद ने दो सौ से अधिक कहानियां लिखी है, जिनमें से कोई बीस कहानियां अलग-अलग कारणों से रेखांकित करने योग्य हैं. कफ़न,पूस की रात, शतरंज के खिलाड़ी, सवा सेर गेहूं, सद्गति, ठाकुर का कुआँ, ईदगाह, बड़े भाई साहब, नमक का दरोगा और पंच-परमेश्वर जैसी कहानियां मुझे भी काफी पसंद हैं; लेकिन यहाँ मैं केवल दो कहानियों की विवेचना करना चाहूंगा. ये हैं- शतरंज के खिलाडी और कफ़न. यह चुनाव इसलिए कर सका हूँ कि मुझे लगता है,इनके माध्यम से हम न केवल प्रेमचंद को, बल्कि उनके दौर को भी समझ सकते हैं. इससे यह बात भी निकलती है कि प्रेमचंद अपने समय के अन्य लेखकों से किस तरह अलग थे.   ' शतरंज के खिलाड़ी ' 1924 में लिखी गई थी और पहली दफा ' मा...
BNMU मेरे जीवन में ‘शतरंज’
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BNMU मेरे जीवन में ‘शतरंज’

मेरे जीवन में 'शतरंज' -------------------- 11 जुलाई 2018 को बीएनएमयू, मधेपुरा के माननीय कुलपति प्रोफेसर डाॅ. अवध किशोर राय सर के साथ अंतर महाविद्यालय शतरंज प्रतियोगिता के समापन समारोह में शिरकत करने का अवसर मिला, तो शतरंज से जुड़ी कुछ यादें ताजा हो गयीं- 1. सर्वप्रथम यह बताना जरूरी है कि मैंने भी जीवन में खेल एवं व्यायाम आदि के महत्व के बारे में पढ़ा-सुना है। लेकिन मेरी व्यक्तिगत मान्यता है कि हमें खेलों एवं व्यायामों की बजाय उत्पादक श्रम में समय लगाना चाहिए। हम जितना पसीना खेल मैदान में या जिम आदि में बहाते हैं, उतना खेत-खलिहान या किचन अथवा लघु-कुटीर उद्योग में लगाएं, तो दुनिया बदल जाए। 2. मुझे खेलों में रूचि नहीं के बराबर है। मैं शुरू से ही क्रिकेट का विरोधी रहा हूँ। आज तक टेलीविजन पर एक भी क्रिकेट मैच नहीं देखा हूँ और न ही रेडियो पर किसी मैच की काॅमेंट्री सुना हूँ। मुझे लंदन के ...