Tag: चिंतन

Gandhi। महात्मा गांधी का स्वास्थ्य चिंतन
SRIJAN.AALEKH

Gandhi। महात्मा गांधी का स्वास्थ्य चिंतन

स्वास्थ्य शरीर, मन और आत्मा की सामंजस्यपूर्ण स्थिति है। इस स्थिति में व्यक्ति सभी प्रकार की रूग्नताओं से मुक्त होता है और उसके सभी अंग-प्रत्यंग सुव्यवस्थित एवं सुनियोजित ढंग से कार्य करते हैं। दूसरे शब्दों में, यह वह आदर्श स्थिति है, जिसमें शरीर स्फूर्तिवान, मन प्रसन्न एवं आत्मा मुदितापूर्ण होती है और दसों इंद्रियाँ (पाँच कर्मेंद्रियाँ, यथा- हाथ, पाँव, मुँह, जननेंद्रिय एवं गुदा और पाँच ज्ञानेंद्रियाँ, यथादृ आँख, नाक, कान, जिह्ना एवं त्वचा) और मन (ग्यारहवीं इंद्रिय) का कार्य-व्यवहार संपूर्ण (सम्यक्) रूप से चलता है।1 स्वस्थ शरीर का अर्थ मोटा-तगड़ा शरीर नहीं है, अर्थात् इसमें पहलवानों या अतिशय दौड़ने-कूदने वालों का समावेश नहीं है। वरन्, इसका आशय व्याधिरहित शरीर से है, अर्थात् वैसा शरीर जो सामान्य काम कर सके। दूसरे शब्दों में, "जो मनुष्य बगैर थकान के रोज दस-बारह मील चल सकता है, जो बगैर थकान के स...