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Sports पहली बार ऑल इंडिया कबड्डी प्रतियोगिता में क्वालीफाई करने से चूकी बीएनएमयू टीम।

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*पहली बार ऑल इंडिया कबड्डी प्रतियोगिता में क्वालीफाई करने से चूकी बीएनएमयू*

*पहली बार बीएनएमयू का ऑल इंडिया कबड्डी प्रतियोगिता में क्वालीफाई करने का सपना टूटा*

भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा की पुरुष कबड्डी टीम ने वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल यूनिवर्सिटी, जौनपुर (उत्तर प्रदेश) में आयोजित ईस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट में लगातार चार मैच जीत कर क्वार्टर फाइनल में जगह बनायी। पहले मैच में उसने छत्तीसगढ़ के संत गाहिरा गुरु विश्वविद्यालय, सरगुजा (अंबिकापुर) को 5 पॉइंट्स से पराजित किया। मैच पहले 31-31 से टाई हो गया फिर 5 रेड्स में बीएन मंडल यूनिवर्सिटी की टीम ने जोर लगाते हुए 11-6 से जीत दर्ज की। दूसरे मैच में उसने पश्चिम बंगाल की जादवपुर यूनिवर्सिटी को 47- 23 के भारी अंतर से पराजित किया। तीसरे मैच में उसने झारखण्ड की विनोबा भावे यूनिवर्सिटी, हजारीबाग को 42- 41 के अंतर से पराजित किया। चौथे मैच में उसने उड़ीसा की बरहामपुर विश्वविद्यालय, ब्रह्मपुर को 35 – 23 के अंतर से पराजित किया।

चार जीत के साथ क्वार्टर फाइनल में पहुँची भूपेंद्र नारायण मंडल यूनिवर्सिटी का मुकाबला मेजबान जौनपुर की वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल यूनिवर्सिटी से हुआ। इस मैच में बीएन मंडल यूनिवर्सिटी को हार का सामना करना पड़ा। इस हार के साथ ही बीएन मंडल यूनिवर्सिटी का सेमीफाइनल के साथ-साथ पहली बार ऑल इंडिया कबड्डी प्रतियोगिता में क्वालीफाई करने का सपना भी टूट गया।

इस साल बिहार की सिर्फ दो यूनिवर्सिटी, बीएन मंडल यूनिवर्सिटी, मधेपुरा और ललित नारायण मिश्रा मिथिला यूनिवर्सिटी, दरभंगा ही क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने में सफल रही। गौरतलब है कि ईस्ट जोन प्रतियोगिता में बिहार के अलावा मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, आसाम, मेघालय, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, मिजोरम, सिक्किम और झारखण्ड की एक सौ से ज्यादा यूनिवर्सिटी हिस्सा लेती है।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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