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RKMS स्वामी जी की सरलता!

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स्वामी जी की सरलता!
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गत 12-13 दिसंबर, 2024 को दर्शनशास्त्र विभाग, बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने का अवसर मिला था। उस दौरान मैंने फेसबुक पर कुछ तस्वीरें शेयर की थीं। उनमें से एक तस्वीर ने आज बरबस मेरा ध्यान अपनी ओर खींच लिया, जिसे अभी पुनः शेयर करने से अपने आपको रोक नहीं सका।

आप इस तस्वीर को देखें। ऊपर से आप देख सकते हैं कि मुझे सेमिनार के संयोजक सह विश्वविद्यालय के महाविद्यालय निरीक्षक (कला एवं वाणिज्य) प्रो. राजीव कुमार जी के हाथों स्मृति-चिह्न मिल रहा है। लेकिन सिर्फ इस वजह से यह ‘फोटो’ पुनः शेयर करना आवश्यक नहीं था!

दरअसल मैं जो बताने जा रहा हूँ, उसे समझने के लिए आपको इस फोटो को फिर से देखना होगा- इसके बाहर (ऊपर) नहीं, बल्कि अंदर (नीचे) देखना होगा।

देखिए! मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित एक गेरूआ वस्त्रधारी संन्यासी कितनी तल्लीनता के साथ अपने कैमरे (मोबाइल) में ‘दूसरे’ की तस्वीर को कैद कर रहे हैं। ये कोई और नहीं, बल्कि रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के सचिव स्वामी भावात्मानंद जी महाराज हैं। इनकी सहजता, सरलता एवं भक्तवत्सलता की बलिहारी!

अंत में, मैं गुरु महाराज के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उनके श्रीचरणों में अपना प्रणाम निवेदित करता हूँ- “श्री गुर पद नख मनि गन जोती। सुमिरत दिब्य दृष्टि हियं होती।दलन मोह तम सो सप्रकासू। बड़े भाग उर आवइ जासू॥” (श्री गुरु महाराज के चरण-नखों की ज्योति मणियों के प्रकाश के समान है, जिसके स्मरण करते ही हृदय में दिव्य दृष्टि उत्पन्न हो जाती है। वह प्रकाश अज्ञान रूपी अंधकार का नाश करने वाला है, वह जिसके हृदय में आ जाता है, उसके बड़े भाग्य हैं।।”

-सुधांशु शेखर अध्यक्ष, स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा (बिहार)
मोबाइल- 9934629245
15 जनवरी, 2025, पू. 02:05 बजे

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