Search
Close this search box.

NYK *जिला स्तरीय पड़ोस युवा संसद आयोजित* — भारत को विकसित बनाने की जिम्मेदारी युवाओं के कंधों पर : कुलपति

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

*जिला स्तरीय पड़ोस युवा संसद आयोजित*

भारत को विकसित बनाने की जिम्मेदारी युवाओं के कंधों पर : कुलपति
—-

भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। भारत में सबसे अधिक युवा-शक्ति है। इन युवाओं के कंधों पर ही भारत को विकसित बनाने की जिम्मेदारी है।

यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रो. बी. एस. झा ने कही।

वे बुधवार को टी. पी. कॉलेज, मधेपुरा के सभा भवन में आयोजित जिला स्तरीय पड़ोस युवा संसद का उद्घाटन कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन नेहरू युवा केन्द्र, मधेपुरा के तत्वाधान में किया गया।

*अपनी विशेषता को पहचानें*

कुलपति ने कहा कि युवाओं को अपनी उर्जा को सकारात्मक दिशा देनी चाहिए और राष्ट्र-निर्माण की जिम्मेदारी उठानी चाहिए। युवा वर्ग संकल्प ले ले, तो वर्ष 2047 तक भारत को विकसित बनने से कोई नहीं रोक सकता है।

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति अनुठा होता है और हरएक व्यक्ति में कुछ-न-कुछ विशेषता होती है। हम अपनी विशेषता को पहचानें और उसे विकसित करें। हम सभी अपनी क्षमताओं को राष्ट्रहित में लगाएं और अपने-अपने निर्धारित कर्तव्यों का समुचित अनुपालन करें।

*गांवों पर ध्यान देना जरूरी*

इस अवसर पर मुख्य अतिथि जिला परिषद् अध्यक्षा मंजू देवी ने कहा कि भारत गांवों का देश है। भारत को विकसित बनाने के लिए गांवों का विकास जरूरी है। अतः यह आवश्यक है कि युवा वर्ग और हम सभी मिलकर गांव की समस्याओं का समाधान करें।
*अच्छे लोगों को चुनकर सदन में भेजें*

डीडीसी अवधेश कुमार आनंद ने कहा कि हमारा यह कर्तव्य है कि हम जांच-परख कर मतदान करें। हम जाति, धर्म आदि संकीर्णताओं से ऊपर उठकर अच्छे लोगों को चुनकर सदन में भेजें। इससे भारत को विकसित बनाने में मदद मिलेगी।

*बढ़ा-चढ़ाकर मतदान में भाग लें युवा*
विशिष्ट अतिथि के रूप में कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर ने कहा कि नवयुवक संकीर्णताओं से ऊपर होते हैं। अतः वे देश को आगे बढ़ाने में सबसे अधिक योगदान दे सकते हैं। अतः युवाओं को बढ़ा-चढ़ाकर मतदान में भाग लेना चाहिए।

इस अवसर पर प्राचीन इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. ललन प्रसाद अद्री ने कहा कि हमारी सरकार ने भारत को वर्ष 2047 तक विकसित बनाने का संकल्प लिया है। हम सबों को मिलकर इस संकल्प को पूरा करना है।

*दो व्याख्यान आयोजित*
इस अवसर पर मुख्य रूप से विकसित भारत @2047 को केंद्र में रखकर दो व्याख्यान आयोजित हुए। विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने ‘नया भारत नई पहल’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि भारत गौरवशाली इतिहास है और हम दुनिया में विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित रहे हैं। हमें पुनः भारत की आत्मशक्ति को जगाना है और सभी क्षेत्रों में देश को विकसित बनाना है।

संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. खुशबू शुक्ला ने स्त्री सशक्तिकरण विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि हम महिलाओं को दबाना बंद कर दें, तो वे स्वत: समाज में अपना स्थान बना लेंगी।

इस अवसर पर डीपीआरओ निकिता कुमारी, उप निर्वाचन अधिकारी अमर कुमार, भाजपा नेता स्वदेश यादव, माया के अध्यक्ष राहुल यादव, चयन समिति सदस्य राजू सनातन आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉ. कैलाश प्रसाद यादव‌ ने की। स्वागत भाषण जिला युवा अधिकारी हुस्न जहाँ ने दिया। संचालन सीनेटर रंजन यादव ने किया। धन्यवाद ज्ञापन केंद्र के लेखापाल मो. शाहजहाँ अंसारी ने किया।

इसके पूर्व महाविद्यालय आगमन पर एएनओ ले. गुड्ड कुमार के नेतृत्व में एनसीसी कैडेट्स द्वारा कुलपति को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। पुनः अतिथियों द्वारा स्वामी विवेकानंद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के उपरांत दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। अतिथियों का अंगवस्त्रम् एवं पुष्पगुच्छ से सम्मान किया गया। पार्वती साइंस कॉलेज, मधेपुरा के संगीत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रीता कुमारी के नेतृत्व में सुनीत साना, संतोष राजा, सुगंधा सरगम, पूजा कुमारी, ज्योति कुमारी, नीतेश कुमार ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित जनसमुदाय को ‘मतदाता शपथ’ दिलाई गई।

कार्यक्रम के आयोजन में नेहरू युवा केंद्र के स्वयंसेवक सौरव कुमार, नीतीश कुमार, बालाजी सुमन, बाबू साहेब, बबलू ब्रजेश, सपना कुमारी, पुनीता कुमारी, इंदल राम, आनंद कुमार, चंदन कुमार, सज्जन कुमार, मनीष कुमार, चंदन आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस अवसर पर अर्थपाल डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, हिंदी विश्वविद्यालय डॉ. वीणा कुमारी, रसायनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. ए. के. मल्लिक, डॉ. उपेन्द्र प्रसाद यादव, डॉ. मोहित गुप्ता, डॉ. कुंदन कुमार आदि उपस्थित थे।

READ MORE

बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

[the_ad id="32069"]

READ MORE

बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।