LNMU औषधि रसायन शोध के क्षेत्र में डॉ• विश्व दीपक त्रिपाठी की शोध पुस्तक प्रकाशित

औषधि रसायन शोध के क्षेत्र में डॉ• विश्व दीपक त्रिपाठी की शोध पुस्तक प्रकाशित

डॉ• विश्व दीपक त्रिपाठी द्वारा लिखी गई शोध पुस्तक शोधार्थियों के लिए बेहद उपयोगी है। महारानी कल्याणी महाविद्यालय लहेरियासराय में रसायन शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ• विश्व दीपक त्रिपाठी के द्वारा मेडिसिनल केमेस्ट्री के क्षेत्र में शोध पुस्तक प्रकाशित हुई। इस पुस्तक का शीर्षक रिसेंट एडवांसेज ऑन नेचुरल प्रोडक्ट इंस्पायर सिंथेसिस आफ मेडिसिनली एक्टिव हेटरोसाइक्लिक है। डॉ• वी• डी• त्रिपाठी ने बताया कि नेचुरल प्रोडक्ट्स बीमारियों के उपचार में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, परंतु नेचुरल प्रोडक्ट से बनाए गए मॉलिक्यूल भी दवाओं की शोध में कारगर साबित हो रहे है। उन्होंने बताया कि उनकी यह पुस्तक ऐसे मॉलिक्यूलस के ऊपर लिखी गई है, जो नेचुरल प्रोडक्ट से प्रेरित होकर बनाए गए हैं तथा विभिन्न बीमारियों के उपचार में कारगर साबित हो रहे हैं। डॉ• त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने अपनी पुस्तक को एंटीमलेरियल, एंटीडायाबेटिक, एंटी बैक्टीरियल, एंटी कैंसर, एंटीलिष्मानियल जैसे अलग-अलग भागों में बांटा है, जिससे शिक्षक तथा शोधार्थियों को समझने में आसानी होगी। बताते चलें कि डॉ• त्रिपाठी बीपीएससी के द्वारा चयनित हुए तथा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में 2017 में सहायक प्राचार्य के रूप में नियुक्त हुए एवं महारानी कल्याणी महाविद्यालय में पदस्थापित हुए। डाॅ• विश्व दीपक त्रिपाठी औषधीय रसायन शोध के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।

विश्व दीपक त्रिपाठी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि के पश्चात सीएसआईआर नेट उत्तीर्ण की और विश्व प्रसिद्ध केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ से अपना शोध कार्य संपन्न किया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली से उन्हें पीएचडी की उपाधि 2013 में प्रदान की गई। तत्पश्चात डॉ• त्रिपाठी कैडिला हेल्थ केयर लिमिटेड मैं वैज्ञानिक के रूप में 3 वर्ष तक शोध विभाग में कार्य किया। तत्पश्चात भारत सरकार की फैलोशिप से त्रिपाठी ने 2 वर्ष तक फ्रांस के प्रसिद्ध रिसर्च इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी ऑफ तुलुज मैं ट्यूबरक्लोसिस की दवा के खोज में शोध कार्य किया। जिस कार्य का उच्च स्तरीय शोध पत्र अमेरिकन केमिकल सोसायटी के जनरल में गत सप्ताह प्रकाशित हुआ। डॉ• त्रिपाठी ने बताया कि यह शोध कार्य ट्यूबरक्लोसिस दवा की खोज में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

डॉ• वी• डी• त्रिपाठी शिक्षण के साथ-साथ शोध कार्य में अब तक 35 शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित कर चुके हैं। डॉ• त्रिपाठी के नाम 3 अमेरिकन पेटेंट तथा 1 इंडियन पेटेंट एप्लीकेशन दर्ज है। डॉ• त्रिपाठी के दो बुक चैप्टर्स एवं एक पुस्तक अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित की जा चुकी है तथा उन्होंने यह भी बताया कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातक के छात्रों के लिए उनकी पुस्तक शीघ्र ही प्रकाशित होने वाली है। डॉ• त्रिपाठी के साथ दो शोध छात्र वर्तमान में अपना शोध कार्य कर रहे हैं। डॉ• विश्व दीपक त्रिपाठी के इस कामयाबी के लिए महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों ने उन्हें हार्दिक बधाई दी तथा इनके इस कार्य से संपूर्ण मिथिलांचल, कोसी एवं सीमांचल में हर्ष का माहौल है।