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BRABU दर्शनशास्त्र विषय में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का शुभारम्भ।

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आज दिनांक 16 जनवरी 2014 को यूजीसी-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र, बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर (बिहार) में दर्शनशास्त्र विषय में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। 16 जनवरी से 30 जनवरी 2024 तक आयोजित इस पाठ्यक्रम का केन्द्रीय विषय है- ‘भारतीय ज्ञान परम्परा और उसकी समकालीन वैश्विक दृष्टि।’ उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के सदस्य सचिव प्रो. सच्चिदानन्द मिश्र ने पाठयक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि हमारी भारतीय ज्ञान परम्परा इतनी समृद्धशाली है। इसने विश्व को अपने ज्ञान से प्रकाशित किया है। यही कारण है कि भारतवर्ष विश्वगुरु कहलाता था। उन्होंने ज्ञान की विभिन्न परम्पराओं न्याय, नव्य-न्याय सांख्य, वेदान्त आदि के ज्ञान सिद्धान्त के व्यावहारिक स्वरूप पर प्रकाश डाला। आज जिस शिक्षा की बात हम कर नई शिक्षा व्यवस्था लागू करना चाहते हैं वह तो हमारी प्राचीन शिक्षा-पद्धति में पूर्व से समाहित है। आज के सत्र की अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. जटाशंकर ने कहा कि ज्ञान अयथार्थ से यथार्थ की ओर प्रस्थान है।

उद्घाटन सत्र का प्रारम्भ दर्शरशास्त्र विभाग, राम दयालु सिंह महाविद्यालय की प्राध्यापिका डॉ. पयोली के मंगलाचरण से हुआ। अतिथयों का स्वागत मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र, बी. आर. ए. बिहार विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. राजीव कुमार झा ने किया। संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन लंगट सिंह महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक डॉ. विजय कुमार ने किया।

द्वितीय एवं चतुर्थ सत्र के संसाधन पुरुष के रूप में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के अवकाश प्राप्त आचार्य प्रो. अमरनाथ झा थे। उन्होंने मिथिला की ज्ञान परम्परा पर अपना विशद् व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि न्याय दर्शन का उद्भव मिथिला मे ही हुआ। न्यायशास्त्र के आदि सूत्रकार महर्षि गौतम का जन्मस्थान मिथिला ही है। न्याय परम्परा के विकसित स्वरूप नव्य-न्याय के प्रणेता गंगेश उपाध्याय की यह भूमि ज्ञान और दर्शन के लिए ही दुनिया में प्रसिद्ध है। भारतीय तर्क और दर्शन में गंगेश उपाध्याय का योगदान अमूल्य है। गंगेश उपाध्याय ने तर्क एवं भाषा की एक परिष्कृत शैली का विकास किया।

आगामी कार्यक्रम

लंगट सिंह महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक डॉ. विजय कुमार ने बताया कि 17 जनवरी, 2024 को प्रातः 10 बजे से 11.30 तक प्रो. नंदिनी सिंह, दर्शनशास्त्र विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी, का व्याख्यान होगा। विषय है- ‘चेतना का विज्ञान : एक वेदान्तिक दृष्टिकोण।’

दूसरा व्याख्यान प्रो. राजीव कुमार, अध्यक्ष दर्शनशास्त्र विभाग, लंगट सिंह महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर। आपका विषय है-‘Reality of Relation: A Controversy between Nyaya and Buddhism.’

तीसरा एवं चौथा व्याख्यान प्रो. प्रमोद कुमार सिंह, अवकाश प्राप्त आचार्य, बाबासाहब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर‌ का होगा। विषय है-‘भारतीय ज्ञान परम्परा।’

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