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BNMU विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग में छह दिवसीय कार्यशाला 20 मई, 2024 से

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विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग में होगी छह दिवसीय कार्यशाला

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भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय शैक्षणिक परिसर स्थित विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग में छह दिवसीय कार्यशाला के आयोजन को लेकर शनिवार को बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो एमआइ रहमान ने की.

विभागाध्यक्ष ने बताया कि छह – दिवसीय कार्यशाला के आयोजन करने की प्रशासनिक अनुमति विश्वविद्यालय द्वारा प्राप्त हो गयी है. कार्यशाला रिसर्च स्किल डेवलपमेंट शीर्षक से आयोजित की जायेगी. कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों, शोधार्थियों व छात्राओं को आधुनिक शोध प्रणालियों से अवगत कराना एवं उन्हें सक्षम बनाना है. शोधार्थियों को शोध के सभी आयाम.

20 से 25 मई तक होगी कार्यशाला

कार्यशाला का आयोजन 20 से 25 मई तक होगा. कार्यशाला के संरक्षक बीएनएमयू कुलपति प्रो विमलेदु शेखर झा होंगे. प्रो. एमआइ रहमान को कार्यशाला का निदेशक, डॉ. आनंद कुमार सिंह संयोजक सचिव व डॉ. सिकंदर कुमार को कोषाध्यक्ष मनोनीत किया गया है. कार्यशाला के लिए 3 ऑर्गनाइजिंग कमेटी का भी गठन किया गया है, जिसमें विभाग के शोधार्थियों एवं छात्रों को सम्मिलित किया गया है. पंजीयन के लिए विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के डॉ= सिकंदर कुमार से संपर्क करें.

विभागाध्यक्ष ने कहा कि बीएनएमयू अंतर्गत शोधार्थियों में शोध कौशल का विकास करना हम शिक्षकों की जिम्मेदारी है। हमारे छात्र शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ें व समाज उपयोगी शोध के क्षेत्र में कार्य करें, यही हम सबों की मंशा है. उन्होंने कहा कि प्रायः यह देखने में आता है कि शोधार्थियों को सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाने के कारण उन्हें अत्यधिक कठिनाइयों से जूझना पड़ जाता है. इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यही होगा कि शोधार्थियों को शोध के सभी आयाम की जानकारी दी जाये और उन्हें प्रशिक्षित किया जाये.

विभिन्न विश्वविद्यालयों से आमंत्रित किये जायेंगे विशेषज्ञ

विभागाध्यक्ष ने कहा कि कार्यशाला द्वारा व्यज्ञानिक समस्या की रचना, शोध के लिए सिनॉप्सिस लेखन, शोध पत्र लेखन, व्यवस्थित रूप से शोध साहित्य का अवलोकन, पीएचडी थीसिस लेखन आदि पर शोधार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि आयोजित होने वाली कार्यशाला में बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालय जैसे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर, पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय एवं बिहार राज्य के बाहर के विश्वविद्यालयों से भी विषय विशेषज्ञ को आमंत्रित किया जायेगा.

एकेडमिक एडवाइजरी कमेटी का गठन

बैठक में एकेडमिक एडवाइजरी कमेटी का गठन किया गया, जिसमें सामाजिक विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो अशोक कुमार, मानविकी संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो राजीव मल्लिक, वाणिज्य संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार, विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ अरुण कुमार व अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो नवीन कुमार, बीएनएमयू आइक्यूएसी निदेशक प्रो नरेश कुमार को मनोनीत सदस्य के रूप में शामिल किया गया है.

 

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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