*76वें स्वतंत्रता दिवस पर कुलपति ने किया ध्वजारोहण*
आत्मचिंतन का अवसर है आजादी का महोत्सव : कुलपति
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स्वतंत्रता दिवस सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के साथ-साथ देश के 75 वर्षों की उपलब्धियों को रेखांकित करने का अवसर है और यह अपनी विकास-यात्रा के मूल्यांकन एवं परीक्षण का भी अवसर है। हमें आत्मचिंतन करना है कि हमने आजादी के बाद से आज तक क्या पाया और क्या खोया- साथ ही क्या पाना अभी भी शेष है ?
यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रो. (डॉ.) आर. के. पी. रमण ने 76वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के शुभ अवसर पर अपने संबोधन में कही। इसके पूर्व कुलपति ने परिसर स्थित राष्ट्रपति महात्मा गांधी, जननायक कर्पूरी ठाकुर, महामना भूपेंद्र नारायण मंडल और डॉ. महावीर प्रसाद यादव की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित किया। कैप्टन गौतम कुमार के नेतृत्व में एनसीसी कैडेट्स ने कुलपति को गार्ड ऑफ आनर दिया।
कुलपति ने सर्वप्रथम सभी स्वतंत्रता सेनानियों एवं शहीदों को नमन करते हुए उनके संघर्ष एवं शहादतों को याद किया और सबों को आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर 76वें स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
उन्होंने कहा कि आज हम हर छोटी से बड़ी चीजें अपने देश में बना रहे हैं और हम वायुयान से लेकर मिशाइल एवं परमाणु बम तक बनाने में सक्षम हैं। हमने वैश्विक महामारी कोरोना का डटकर मुकाबला किया और कोरोना से बचाव का टीका बनाकर अन्य देशों को भी उपलब्ध कराया।
उन्होंने कहा कि आजादी के पूर्व का लंबा संघर्ष और आजादी के बाद के 75 वर्षों की अवधि भारत के नवनिर्माण की अवधि है। इस अवधि में देश में सैकड़ों शिक्षण संस्थानों की स्थापना भी हमारे समाज एवं राष्ट्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। हमारा भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय भी इस उपलब्धि की लड़ी की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
उन्होंने बताया कि 10 जनवरी, 1992 को इस विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही हमारे पूर्वजों के सपनों ने साकार रूप लिया है। यहां हम भूपेन्द्र बाबू के साथ ही कोसी के मालवीय के नाम से सुप्रसिद्ध महामना कीर्ति नारायण मंडल को भी याद करना चाहेंगे, जिन्होंने ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय एवं पार्वती विज्ञान महाविद्यालय जैसे दर्जनों शिक्षण संस्थानों की स्थापना कर कोसी-सीमांचल को शैक्षणिक आजादी दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया, जो हमारे विश्वविद्यालय के निर्माण की आधारशीला है।
उन्होंने कहा कि राजभवन के मार्गदर्शन और राज्य सरकार के सहयोग से विगत तीस वर्षों में हमारे विश्वविद्यालय ने कई उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। इसी कड़ी में तीन अगस्त को विश्वविद्यालय का चौथा दीक्षांत समारोह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।इसकी समग्र स्मृतियों को संयोजित कर उसे एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की योजना है, जो भविष्य में विश्वविद्यालय के लिए एक धरोहर सिद्ध होगी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में स्नातकोत्तर स्तर पर नामांकन हेतु कुल 1404 सीटों की अतिरिक्त वृद्धि हुई है। विश्वविद्यालय अन्तगर्त सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में आशातीत वृद्धि हुई है। स्नातक स्तर भी पर भी नामांकन हेतु सीट वृद्धि का प्रस्ताव राज्य सरकार को प्रेषित है। आशा है कि हमें निकट भविष्य में हमें इस दिशा में भी सफलता प्राप्त होगी।
उन्होंने बताया कि दो दिन पूर्व ही बी. वॉक पाठ्यक्रम को राजभवन से अनुमोदन प्राप्त होना विश्वविद्यालय की एक बड़ी उपलब्धि है। आने वाले दिनों में कुछ अन्य नए पाठ्यक्रमों के भी शुरू होने की उम्मीद है। बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग की अनुशंसा के आलोक में विभिन्न विषयों के लिए प्राप्त पैनल से शीघ्र ही असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति की जाएगी।
उन्होंने बताया कि विगत एक वर्ष में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर की कुल 39 परीक्षाएँ आयोजित की गई हैं और 37 परीक्षाओं का परीक्षाफल भी घोषित कर दिया गया है। साथ ही सभी उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन प्रमाण-पत्र वितरित करने की व्यवस्था की गई है। स्नातक स्तर पर सत्र पूर्णतः नियमित हो चुका है और स्नातकोत्तर स्तर पर भी दिसंबर तक सत्र नियमितिकरण की योजना है। इसके लिए परीक्षा विभाग दिनरात जी तोड़ प्रयास कर रहा है।
उन्होंने बताया कि मेधावी शोधार्थियों को शोध में आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए शोध विकास कोष के गठन का निर्णय लिया गया है। निकट भविष्य में ‘भूपेंद्र नारायण मंडल : जीवन एवं दर्शन’ विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। नैक मूल्यांकन के कार्यों को गति देने के लिए आईक्यूएसी का पुनर्गठन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय हमारे पुरखों की एक साझी धरोहर है। इस धरोहर के संरक्षण एवं संवर्धन की जिम्मेदारी हम सबों की है। विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों के सकारात्मक सहयोग एवं सेवा भावना से ही विश्वविद्यालय का समग्र विकास संभव है। सबके साथ एवं सबके प्रयास से विश्वविद्यालय के विकास का कारवां को आगे बढ़ेगा।
इस अवसर पर प्रति कुलपति डॉ. आभा सिंह, डीएसडब्ल्यू डॉ. पवन कुमार, कुलानुशासक डॉ. बी. एन. विवेका, कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर, परिसंपदा पदाधिकारी डॉ. गजेन्द्र कुमार, एनएसएस पदाधिकारी डॉ. अभय कुमार, जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर, कुलपति के निजी सहायक शंभु नारायण यादव आदि उपस्थित थे।