BNMU लहरों के डर से नौका पार नहीं होते, कोशिश करने वालों के कभी हार नहीं होती।

मैं रुपम कुमारी माननीय कुलपति महोदय प्रो. बी. एस. झा सर का एवं विश्वविद्यालय परिवार के सभी विद्वतजन का आभार प्रकट करती हूँ। आप सबों ने यूजीसी नेट-जेआरएफ उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को सम्मानित कर हम सबों का मनोबल बढ़ाने का काम किया है। इस आयोजन को विशिष्ट बनाने में सुधांशु सर की अहम भूमिका रही है, मैं उनका तहे दिल से आभार प्रकट करती हूँ।

मैंने यूजीसी-नेट परीक्षा अपने तृतीय प्रयास में उत्तीर्ण किया है। इस परीक्षा को पास करने के लिए सबसे पहले खुद पर विश्वास और धैर्य रखने बहुत जरूरी है। यह परीक्षा पास करना बहुत आसान नहीं है, लेकिन असंभव भी नहीं है। अगर कोई भी छात्र-छात्राएं सच्चे मन से चाह लें कि मुझे नेट पास करना है, तो तो वे अवश्य पास कर लेंगे। सब आवश्यकता है सिलेबस के हिसाब से पढ़ने, मॉक टेस्ट लगाने, जो प्रश्न नहीं बन रहा है, उसका विश्लेषण करने और जिस हिसाब से परीक्षा के पैटर्न बदल रहा है, उसी तरह अपनी तैयारी के भी पैटर्न को भी बदलाव लाने की। अंत में मैं अपने सभी मित्रों को कहना चाहूंगी कि वे अपने आप पर विश्वास एवं भरोसा रखें और हमेशा हरिवंश राय बच्चन जी की इन पंक्तियों से प्रेरणा (मोटिवेशन) लेते रहें, “लहरों के डर से नौका पार नहीं होते, कोशिश करने वालों के कभी हार नहीं होती।”

*रूपम कुमारी* , विषय- हिन्दी।                            शोधार्थी पीएटी-2020, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालूनगर, मधेपुरा।