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BNMU बैठक आयोजित, नैक मूल्यांकन सहित कई मुद्दों पर चर्चा। कई परीक्षाओं की तिथि घोषित।

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यह विश्वविद्यालय हम सबों का है। हम सबों को मिलकर इसका विकास करना है। यह सच है कि हमारे पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। लेकिन जितना संसाधन है, उतने में ही हमें बेहतर काम करना है। हम सबों को विश्वविद्यालय के विकास में अपनी पूरी शक्ति लगानी है। यह बात कुलपति प्रोफेसर डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने कही। वे शुक्रवार को सभी अंगीभूत महाविद्यालय के प्रधानाचार्यों की एक आवश्यक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन नैक मूल्यांकन हेतु प्रतिबद्ध है। सभी महाविद्यालय के प्रधानाचार्य एवं प्रभारी प्रधानाचार्य इस दिशा में आवश्यक कदम उठाएँ। सभी टीम भावना से काम करें। नैक मूल्यांकन में सभी शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए। 
कुलपति ने कहा कि हम सबों को मिलकर शैक्षणिक गुणवत्ता के विकास पर ध्यान देना है। गर्मी छुट्टी में भी ऑनलाइन टीचिंग जारी रखना है।  
कुलपति ने कहा कि हमें ससमय परीक्षाफल देना है और पेंडिंग की समस्या का स्थाई समाधान करना है। किसी पेपर की परीक्षा समाप्त होते ही हमें उसका मूल्यांकन शुरू कर देना है। पूरी परीक्षा समाप्त होने का इंतजार नहीं करना है। हमें परीक्षा समाप्त होते ही तुरंत रिजल्ट देने का प्रयास करना है। साथ ही हमें मूल्यांकन एवं टेबुलेशन के दौरान ही इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि पेंडिंग हो ही नहीं।
बैठक में सभी परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा मानकों को पूरा करने पर भी विचार-विमर्श किया गया। प्रधानाचार्यों को निदेशित किया गया कि परीक्षा केंद्र में सभी बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो। आगामी परीक्षाओं में परीक्षा  केंद्र बढ़ा दिया जाएगा। परीक्षार्थियों को  ग्रुप में बांटा जाएगा। जरूरत के अनुसार गृह जिला में  सेंटर होगा।
बैठक में प्रस्तावित एकेडमिक कैलेंडर एवं  परीक्षा कैलेंडर जारी किया गया। इसके अनुसार स्नातक प्रथम खंड की परीक्षा 22 अगस्त से होगी। स्नातक द्वितीय खंड की परीक्षा 29 अगस्त से होगी। स्नातक तृतीय खंड की परीक्षा 10 अगस्त से होगी। स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर (सीबीसीएस), दिसंबर 2018 और स्नातकोत्तर चतुर्थ सेमेस्टर, जून 2019 की परीक्षा 27 जुलाई से होगी।  
इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद, डॉ. अशोक कुमार सिंह, डॉ. के. पी. यादव, डाॅ. के. एस. ओझा, डाॅ. संजीव कुमार, डॉ. डी. एन. साह, डॉ. अनिलकांत मिश्र, डॉ. जगदेव प्रसाद यादव, डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप, पीआरओ डाॅ. सुधांशु शेखर आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।