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BNMU : जननायक कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा हेतु स्थल का निरीक्षण

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बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के नॉर्थ कैंपस में  सुप्रसिद्ध समाजवादी नेता एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा लगेगी. इसके लिए स्थल चयन करने हेतु एक कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी के सदस्यों ने गुरुवार को नॉर्थ कैंपस का निरीक्षण किया और समुचित स्थल के चयन पर विचार विमर्श किया गया। कमेटी अब अपना प्रतिवेदन माननीय कुलपति महोदय को समर्पित करेगी।

इसमें  वरीय संकायाध्यक्ष डाॅ. आर. के. पी. रमण,  महासचिवबीएनमुष्टा डॉ. नरेश कुमार, कुलसचिव डॉ. कपिलदेव प्रसाद,परिसंपदा पदाधिकारी डॉ. गजेंद्र कुमार, एवं जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर शामिल थे।

मालूम हो कि कुछ दिनों पूर्व मधेपुरा यूथ एसोसिएशन (माया) के अध्यक्ष राहुल यादव ने बीएनएमयू के कुलपति प्रोफेसर डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी को ज्ञापन सौंपकर विवि कैंपस में पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा लगाने की मांग की थी।

उन्होंने कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में वंचित तबकों के सामाजिक एवं शैक्षणिक उत्थान में महती भूमिका निभाई है और बीएन मंडल विश्वविद्यालय की स्थापना में भी वे प्रेरणास्रोत रहे हैं।ऐसे में विश्वविद्यालय कैंपस में जननायक कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा लगाना सर्वथा अपेक्षित है। यह एक लोकप्रिय नेता का सम्मान होगा और इससे क्षेत्र की जनता की आकांक्षाओं की पूर्ति होगी एवं विद्यार्थियों को प्रेरणा भी मिलेगी। उन्होंने कहा है कि उनके पास जननायक कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा उपलब्ध है और उन्होंने उसे विश्वविद्यालय कैंपस में लगाने के लिए विश्वविद्यालय को समर्पित करने के संबंध में पूर्व में भी कुलपति कार्यालय में आवेदन दिया था। कुलपति ने विश्वविद्यालय के नए कैंपस में समुचित स्थल पर जननायक कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा लगाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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