Search
Close this search box.

BNMU कुलपति की अध्यक्षता में सभी प्रधानाचार्यों की बैठक आयोजित। सत्र नियमित करना हम सबों की जिम्मेदारी : कुलपति

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

*कुलपति की अध्यक्षता में सभी प्रधानाचार्यों की बैठक आयोजित*
——

*सत्र नियमित करना हम सबों की जिम्मेदारी*

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्नातक स्तर पर पहली बार सीबीसीएस प्रणाली पहली बार लागू हुई है। इसलिए इसमें थोड़ी परेशानी हो रही है। लेकिन हम सबों को मिलकर सभी परेशानियों को दूर करना है। सीबीसीएस को सफल बनाना है और इसे सही तरीके से क्रियान्वित करना है।

यह बात कुलपति प्रो. (डॉ.) राजनाथ यादव ने कही। वे शनिवार को सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

कुलपति ने कहा कि राजभवन द्वारा चार वर्षीय स्नातक (सीबीसीएस) में नामांकन, परीक्षा एवं परिणाम का कैलेण्डर बना हुआ है। कैलेंडर के अनुसार बीएनएमयू थोड़ा पीछे है। लेकिन शीघ्र ही सभी कुछ नियमित हो जाएगा।

कुलपति ने बताया कि बीएनएमयू प्रथम मेधा सूची के आधार पर नामांकित सभी विद्यार्थियों का कक्षारंभ हो गया है। शीघ्र ही दूसरी सूची जारी होगी। 15 अक्टूबर तक नामांकन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। 2-6 नवंबर तक सीआईए की तिथि भी निर्धारित कर दी गई है। दिसंबर में फाइनल परीक्षा होगी।

कुलपति ने बताया कि सीबीसीएस के अंतर्गत तीस अंकों की आंतरिक परीक्षा होगी। इसमें पंद्रह अंक टेस्ट, दस अंक असाइनमेंट/ सेमिनार/क्विज प्रेजेंटेशन और पांच अंक उपस्थिति पर दिए जाएंगे।

*सीबीसीएस लागू*

कुलपति ने कहा कि स्नातक
स्तर पर सीबीसीएस पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है। इसके मुताबिक सभी विश्वविद्यालयों का पाठ्यक्रम और शुल्क सामान होगा। चार वर्षीय कोर्स 8 सेमेस्टर का है और इसके लिए 160 क्रेडिट तय किया गया है। प्रत्येक सेमेस्टर 20 क्रेडिट का होगा। छात्रों को अंतिम वर्ष के सातवें सेमेस्टर में पहुंचने तक 7.5 सीजीपीए प्राप्त करना होगा।

कुलपति ने कहा कि तीन वर्षीय कोर्स करने के बाद डिग्री मिल जाएगी। चौथे वर्ष में पढ़ना अनिवार्य नहीं है। बीच में पढ़ाई छोड़ने पर भी विद्यार्थियों को यथोचित सर्टिफिकेट मिलेगा। 3 साल का स्नातक करने वालों के लिए पीजी दो वर्ष का होगा। 4 वर्षीय कोर्स करने वालों के लिए पीजी एक वर्ष का ही होगा। रिसर्च में भी सुविधा होगी।

*विद्यार्थियों को अपनी मनपसंद पाठ्यक्रम चुनने की आजादी देता है सीबीसीएस*
कुलपति ने कहा कि मेजर, माइनर और स्कील इन्हांसमेंट कोर्स एवं वेल्यू एडेड कोर्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि सभी प्रधानाचार्य विद्यार्थियों को इसकी जानकारी दें और पंजीयन के समय सही से विषय भरना सुनिश्चित करा लें।

*विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद है सीबीसीएस*

कुलपति ने बताया कि सीबीसीएस कोर्स करने से विद्यार्थियों को कई फायदा होगा। विद्यार्थी अपनी पसंद से जो भी विषय पढ़ना चाहें, उसका चयन कर सकते हैं। इस कोर्स के तहत जो अंक प्राप्त होंगे, वह ग्रेड के रूप में होंगे। विद्यार्थियों को प्रत्येक साल 2 एग्जाम देने होंगे इस कारण विद्यार्थी अच्छे से पढ़ेंगे। इसके अंतर्गत मूल्यांकन भी बहुत बेहतर से किया जाएगा।

कुलपति ने सभी प्रधानाचार्यों को निदेशित किया कि वर्ग-तालिका के अनुरूप सभी विषयों की कक्षाएँ सुनिश्चित कराएं और कक्षाओं में विद्यार्थियों की शत- प्रतिशत उपस्थिति हेतु हरसंभव प्रयास करें। नियमित रूप से कक्षाओं का संचालन होगा, तो शिक्षक एवं विद्यार्थियों के बीच संवाद कायम होगा। इससे संस्थान में अच्छा शैक्षणिक माहौल बनेगा और अधिकांश समस्याओं का स्वत: समाधान हो जाएगा।

कुलपति ने कहा कि एक भी विद्यार्थी आए, तो भी कक्षा ली जाए। इससे विद्यार्थियों के बीच सकारात्मक संदेश जाता है। दूसरे विद्यार्थी भी कक्षा में आने हेतु प्रेरित होते हैं। यदि कम विद्यार्थी आने पर कक्षा नहीं ली जाती है, तो इससे विद्यार्थियों के बीच नकारात्मक संदेश जाता है।

*एनईपी पर हो कार्यशाला*
कुलपति ने कहा कि सभी पदाधिकारी, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, प्रधानाचार्य एवं शिक्षक एनईपी की समुचित जानकारी प्राप्त करें। सभी महाविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं सीबीसीएस पाठ्यक्रम को केंद्र में रखकर कार्यशाला एवं संगोष्ठी का आयोजन किया जाए।‌

इस अवसर पर डीएसडब्ल्यू प्रो. राजकुमार सिंह, वित्त पदाधिकारी अरूण कुमार गुप्ता, परीक्षा नियंत्रक शशिभूषण, उपकुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर, प्रो. (डा.) कैलाश प्रसाद यादव, प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार, डॉ. अरविन्द कुमार, प्रो. (डॉ.) संजीव कुमार, प्रो. (डॉ.) यू. एस. चौधरी, प्रो. (डॉ.) डी. एन. साह, डॉ. जवाहर पासवान, डॉ. माधवेन्द्र झा, डॉ. जयदेव प्रसाद यादव, संजय कुमार, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव आदि उपस्थित थे।

READ MORE

बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

[the_ad id="32069"]

READ MORE

बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।