BNMU। कोरोनाकाल में बढ़ी युवाओं की जिम्मेदारी : प्रति कुलपति

कोरोनाकाल में बढ़ी युवाओं की जिम्मेदारी : प्रति कुलपति

कोरोना महामारी से पूरी दुनिया त्रस्त है। इस महामारी ने किसी को भी नहीं छोड़ा है। इसने हमारे जीवन में भूचाल ला दिया है। संकट की इस घड़ी में युवाओं की जिम्मेदारी बढ़ गई है।

यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा की प्रति कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आभा सिंह ने कहीं। वे शोध बिहार फेसबुक पेज पर ऑनलाइन व्याख्यान दे रही थीं। व्याख्यान का विषय था- कोरोनाकाल में युवाओं का आपद धर्म।

उन्होंने कहा कि ‘धर्म’ का प्रत्यय भारतीय विचारधारा की धूरी है। इसे न्याय, कर्तव्यपरायणता एवं सद्गुण आदि के अर्थ में लिया गया है। लेकिन हमारे ऋषि-मुनि यह जानते थे कि कोई भी धार्मिक संहिता सभी परिस्थितयों में लागू नहीं हो सकती है। इसलिए विशेष परिस्थिति के लिए आपद धर्म की अवधारण आई है।

उन्होंने कहा कि ज्यादातर स्थितियों में जीवन की रक्षा सर्वोच्च मूल्य है। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें और दूसरों की जीवन रक्षा का भी प्रयास करें। हम सबों के और विशेषकर युवाओं के मन में एक सहज करूणा का भाव होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सामान्यतः ऐसा लगता है कि सभी व्यक्ति अलग-अलग हैं। लेकिन वास्तव में सभी एक-दूसरे से जुड़े हैं। प्रत्येक मानव प्रकृति- पर्यावरण और चराचर जगत से जुड़ा हुआ है। ब्रह्मांड में कहीं भी कोई घटना होती है, तो उसका हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है।

इस अवसर पर प्रमुख श्रोताओं में जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर, शोध बिहार के संचालक गौरब रंजन, सीनेटर रंजन यादव आदि शामिल थे।