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BIHAR *स्नातक (सीबीसीएस) पाठ्यक्रम में एक सामान्य ऐच्छिक विषय के रूप में शामिल होगा एनसीसी*

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*स्नातक (सीबीसीएस) पाठ्यक्रम में एक सामान्य ऐच्छिक विषय के रूप में शामिल होगा एनसीसी*

*समाज एवं राष्ट्र के नवनिर्माण की दिशा में भी एक ठोस पहल साबित होगा एनसीसी पाठ्यक्रम : कैप्टन गौतम*

मधेपुरा महाविद्यालय, मधेपुरा के एनसीसी पदाधिकारी एवं बीएनएमयू, मधेपुरा के अभिषद् सदस्य कैप्टन गौतम कुमार ने बिहार के राज्यपाल-सह- कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर से राजभवन, पटना में मुलाकात कर राज्य के सभी विश्वविद्यालयों स्नातक स्तरीय च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के अंतर्गत राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) को एक सामान्य ऐच्छिक विषय (जेनरल इलेक्टिव सब्जेक्ट) के रूप में शामिल करने हेतु ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने बताया कि राज्यपाल-सह-कुलाधिपति ने मुलाकात के दौरान ज्ञापन के सभी बिंदुओं को गंभीरतापूर्वक सुना और इस पर
सकारात्मक पहल का भरोसा दिलाया है।

कैप्टन कुमार ने ज्ञापन में बताया है कि एनसीसी महानिदेशक, नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी- 2020) के अंतर्गत स्नातक स्तरीय च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) में सामान्य ऐच्छिक विषय (जेनरल इलेक्टिव सब्जेक्ट) के रूप में शामिल करने की सिफारिश की। इसी आलोक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), नई दिल्ली द्वारा देश के सभी सरकारी एवं निजी महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में एनसीसी को विषय इसमें चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के अंतर्गत एक ऐच्छिक विषय (इलेक्टिव सब्जेक्ट) के रूप में शामिल करने का पत्र जारी किया है। इसी कड़ी में राज्यपाल सचिवालय, राजभवन, बिहार, पटना द्वारा भी संदर्भित पत्र जारी किया गया। लेकिन कैप्टन कुमार ने खेदपूर्वक कहा है कि अभी तक बिहार के किसी भी विश्वविद्यालय के स्नातक स्तरीय सीबीसीएस पाठ्यक्रम में एनसीसी को एक सामान्य ऐच्छिक विषय के रूप में शामिल नहीं किया गया है।

उन्होंने बताया कि एनसीसी का राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सामाजिक सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा है और इसके स्नातक स्तरीय पाठ्यक्रम का अंग बनने पर इसके गौरवशाली इतिहास में एक नया आयाम जुड़ेगा। इससे युवा पीढ़ी एनसीसी की ओर आकर्षित होगी, जो प्रकारांतर से विकसित भारत@2047 अभियान में उत्प्रेरक साबित होगा। इस कोर्स के जरिए विद्यार्थी एनसीसी के प्रेरणादायक इतिहास एवं गौरवशाली परंपराओं में शिक्षित एवं दीक्षित हो सकेंगे और उन्हें युद्ध कौशल, आपदा- प्रबंधन, राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रीय एकता, नागरिक मामले, सामाजिक जागरूकता, सामुदायिक विकास, जनस्वास्थ्य, स्वच्छता, पर्यावरण-संरक्षण आदि का भी ज्ञान प्राप्त होगा।

उन्होंने बताया कि इस कोर्स से विद्यार्थियों में अनुशासन, राष्ट्रप्रेम, निस्वार्थ सेवाभाव एवं अन्य चारित्रिक गुणों का विकास होगा और भारतीय सेना जैसे गौरवशाली क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए यह मील का पत्थर साबित होगा। इसके अलावा विद्यार्थी अन्य सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्र में भी रोजगार प्राप्त करने में दक्ष होंगे और आत्मरक्षा प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों में स्वरोजगार एवं उद्यम भी कर सकेंगे।

कैप्टन कुमार ने विश्वास व्यक्त किया है कि राज्यपाल-सह- कुलाधिपति के आदेश से शीघ्र ही सभी विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तरीय च्वाइस बेस्टड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के अंतर्गत एनसीसी को एक सामान्य ऐच्छिक विषय (जेनरल इलेक्टिव सब्जेक्ट) के रूप में शामिल किया जाएगा। इससे विद्यार्थी काफी लाभान्वित होंगे और यह समाज एवं राष्ट्र के नवनिर्माण की दिशा में भी एक ठोस पहल साबित होगा।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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