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Bihar पद्मश्री आदरणीय श्रीमती उषा किरण खान के निधन का समाचार सुनकर काफी दुख हो रहा है। 31 मार्च, 2017 को पटना (बिहार) में आपसे प्रेरणादायक मुलाकात हुई थी और मैंने आपको अपनी पुस्तक ‘गाँधी-विमर्श’ भेंट किया था। आपका लेखन हम सबों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा। सादर नमन!

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वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री आदरणीय श्रीमती उषा किरण खान के निधन का समाचार सुनकर काफी दुख हो रहा है। 31 मार्च, 2017 को पटना (बिहार) में आपसे प्रेरणादायक मुलाकात हुई थी और मैंने आपको अपनी पुस्तक ‘गाँधी-विमर्श’ भेंट किया था। आपका लेखन हम सबों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा। सादर नमन!

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संक्षिप्त परिचय

जन्म : 7 जुलाई, 1945, लहेरियासराय, दरभंगा (बिहार), निधन : 10 फरवरी, 2024

 

भाषा : हिंदी, मैथिली

विधाएँ : उपन्यास, कहानी, नाटक

मुख्य कृतियाँ

उपन्यास : पानी पर लकीर, फागुन के बाद, सीमांत कथा, रतनारे नयन (हिंदी), अनुत्तरित प्रश्न, हसीना मंजिल, भामती, सिरजनहार (मैथिली)

कहानी संग्रह : गीली पॉक, कासवन, दूबजान, विवश विक्रमादित्य, जन्म अवधि, घर से घर तक (हिंदी), कॉचहि बॉस (मैथिली)

नाटक : कहाँ गए मेरे उगना, हीरा डोम (हिंदी), फागुन, एकसरि ठाढ़, मुसकौल बला (मैथिली)

बाल नाटक : डैडी बदल गए हैं, नानी की कहानी, सात भाई और चंपा, चिड़िया चुग गई खेत (हिंदी), घंटी से बान्हल राजू, बिरड़ो आबिगेल (मैथिली)

बाल उपन्यास : लड़ाकू जनमेजय।

 

सम्मान : हिंदी सेवी सम्मान (राजभाषा विभाग, बिहार सरकार), महादेवी वर्मा सम्मान (बिहार राजभाषा विभाग), दिनकर राष्ट्रीय पुरस्कार, साहित्य अकादेमी पुरस्कार, कुसुमांजली पुरस्कार, विद्या निवास मिश्र पुरस्कार।

उषा किरण खान की रचनाएँ :

उपन्यास : अगन-हिंडोला

कहानियाँ : अड़हुल की वापसी

आलोचना : अरे, यायावर रहेगा याद : अनुभव से अनुभूति तक की यात्रा।

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मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद युवा संसद से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों की रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित। मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद। प्रो. बी. एस. झा, माननीय कुलपति, बीएनएमयू, मधेपुरा और प्रो. कैलाश प्रसाद यादव, प्रधानाचार्य, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रति बहुत-बहुत आभार।

मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद। कीर्ति कुम्भ (स्मरण एवं संवाद) कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित। उद्घाटनकर्ता सह मुख्य अतिथि प्रो. बी. एस. झा, माननीय कुलपति, बीएनएमयू, मधेपुरा और मुख्य वक्ता प्रो. विनय कुमार चौधरी, पूर्व अध्यक्ष, मानविकी संकाय, बीएनएमयू, मधेपुरा के प्रति बहुत-बहुत आभार।