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Ambedkar बीएनएमयू, मधेपुरा के तत्वावधान में भारतरत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के उपलक्ष्य में शुक्रवार को अ. 12:30 बजे से होगी वर्तमान परिप्रेक्ष्य में डॉ. अंबेडकर विषयक परिचर्चा आयोजित।

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परिचर्चा
—-
बीएनएमयू, मधेपुरा के तत्वावधान में भारतरत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के उपलक्ष्य में शुक्रवार को अ. 12:30 बजे से वर्तमान परिप्रेक्ष्य में डॉ. अंबेडकर विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया है। इसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण करेंगे। कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण के आदेशानुसार कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर ने सभी पदाधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों से कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध किया है।

कार्यक्रम – विवरण

अवसर : भारतरत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती
कार्यक्रम : श्रद्धांजलि सभा सह परिचर्चा
विषय : वर्तमान परिप्रेक्ष्य में डॉ. अंबेडकर
दिनांक : 14 अप्रैल, 2023 (शुक्रवार)
समय : अ 12:30 बजे
स्थान : विश्वविद्यालय केंद्रीय पुस्तकालय सभागार

अध्यक्षता : प्रो. (डॉ.) आर.
के. पी. रमण, माननीय कुलपति

उपर्युक्त कार्यक्रम में सभी पदाधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों की
उपस्थिति आवश्यक है।

माननीय कुलपति महोदय के आदेशानुसार

(प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर)
कुलसचिव

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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